सवा करोड़ का पर्यावरण पार्क उद्घाटन से पहले उजड़ा, तीन साल में भी प्रोजेक्ट नहीं कर पाए पूरा
बालोद. जिला मुख्यालय के पानाबरस डिपो में बनाए गए पर्यावरण पार्क का निर्माण तीन साल से अधूरा है, लेकिन यह बिना उपयोग के ही उजड़ गया है। लाखों के झूले, एडवेंचर सहित अन्य सामग्री टूट गई है। वन विभाग ने पर्यावरण पार्क के नाम पर एक करोड़ 26 लाख से अधिक खर्च कर डाले है। इस तरह संवरने से पहले पार्क उजड़ गया। वन विभाग ने इन तीन वर्षों में सिर्फ एक बड़ा स्वागत द्वार ही बना है। वह भी जर्जर होने की स्थिति में है। पार्क के बारे में वन विभाग की आगे की कोई जानकारी नहीं दे रहा है।
शासन की राशि का दुरुपयोग
शासन की राशि का किस तरह दुरुपयोग किया जाता है, इसके बारे में वन विभाग से बेहतर कोई और नहीं जान सकता है। पर्यावरण पार्क की स्वीकृति 2016-17 में मिली थी, जिसके लिए दो किस्तों में राशि जारी की गई। पर्यावरण पार्क के निर्माण में लगभग 1 करोड़ 26 लाख के आसपास खर्च कर डाले है।
पार्क बना नहीं है। यहां झूला, एडवेंचर, सभी लगा दिए। इनका उपयोग से पहले यह सामान सड़ चुका है।
पार्क के नाम पर करोड़ों खर्च, लाभ शून्य
वन विभाग ने पर्यावरण पार्क बनाने के नाम पर करोड़ों खर्च किया है। पाना बरस डिपो के लगभग 22 हेक्टेयर जमीन को चिन्हांकित लगभग एक करोड़ 26 लाख से विभिन्न कार्य कराए हैं। अब यह पार्क जर्जर हो गया है। अब वन विभाग इस पार्क को संवारने फिर खर्च करने जा रही है।
अब बायो डायवर्सिटी पार्क बनाने की तैयारी
वन विभाग के पूर्व डीएफओ ने पहले ही पर्यावरण पार्क बनाने की बात कही थी। अभी पार्क पूरी तरह से नहीं बना है और पूर्व डीएफओ ने नई योजना बना दी। अब उनका ट्रांसफर हो गया है। पूर्व डीएफओ सतोविशा समाजदार के मुताबिक कैम्पा मद से दो करोड़ की लागत से बालोद-दल्ली मार्ग स्थित पानाबरस डिपो के समीप 40 हेक्टेयर जंगल क्षेत्र में बायो डायवर्सिटी का निर्माण किया जाएगा।
वन विभाग ने पूरी तैयारी भी कर ली है। जल्द ही टेंडर बुलाकर काम शुरू कराया जाएगा। इसके निर्माण से जिलेवासी जंगली हिरण व कोटरी को नजदीक से देख सकेंगे। वहां दुर्लभ प्रजाति के पौधे भी लगाए जाएंगे। वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए ग्रासलैंड बनाकर इस क्षेत्र में पाए जाने वाले सबसे ज्यादा वन्य प्राणी हिरण, कोटरी व खरगोश का आदि का संरक्षण भी किया जाएगा। पार्क का निर्माण लोगों को प्रकृति से जोड़कर जैव विविधता को समझाना है।
यह था पर्यावरण पार्क का उद्देश्य
जिला मुख्यालय में पर्यावरण पार्क बनाने का उद्देश्य लोगों को सुकून के पल देना था। लोगों को घूमने-फिरने एवं आराम करने की अच्छी जगह मिल सके। बच्चों के खेलने के लिए अच्छा माहौल मिल जाए। लेकिन यह पर्यावरण पार्क अधिकारियों की लापरवाही की वजह से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया।
कुछ कहने से बच रहे डीएफओ
मामले में डीएफओ मयंक पांडे भी कुछ नहीं कह रहे हैं। न ही मोबाइल रिसीव कर रहे हैं। दरअसल यह कार्य पूर्व डीएफओ का था। अब उनका स्थानांतरण धमतरी हो गया है।
औषधि वाटिका का भी पता नहीं
इस पर्यावरण पार्क में ट्रैक, शौचालय, फेंसिंग बनाया गया है। लोगों को दुर्लभ औषधियों के बारे में जानकारी देने औषधि वाटिका बनाया गया है, लेकिन औषधि वाटिका में रोपे गए औषधि पौधे का ही पता नहीं है। हालांकि अभी भी कुछ कार्य वन विभाग कर रहा है। अब कब जिलेवासियों को इस पर्यावरण पार्क का लाभ मिलेगा, यह विभाग ही बता पाएगा।
Source: Education