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रेटिना में खराबी से कमजोर हो जाती है आंखों की राेशनी

रेटिना आंखों का पर्दा है जो सबसे पीछे की परत पर होता है। इसमें मौजूद फोटोकेमिकल चैनल्स ऑप्टिक नर्व से दिमाग को सिग्नल्स देते हैं। जिससे आंखों को देखने का इशारा मिलता है। इस प्रक्रिया में एक सेकंड से कई गुना कम समय लगता है। रेटिना नर्वस सिस्टम से जुड़ा है। इसमें कोई तकलीफ होने पर आंखों की रोशनी बरकरार नहीं रहती।

रेटिना संबंधी रोग
रेटिना के साथ आंखों में दो कॉर्निया, लेंस व दो लिक्विड चैंबर्स और बाहरी हिस्से में दस लेयर होती हैं। जिनमें बेहद महीन रक्त नलिकाएं होती हैं। इनमें कोई संक्रमण या किसी रोग के कारण खराबी आ जाती है। मधुमेह रोगियों में ब्लड शुगर लेवल के असंतुलन से रेटिना की रक्तनलिकाओं का आकार बिगड़ने लगता है व धीरे-धीरे वे डैमेज हो जाती हैं। पर्दे पर रक्त के थक्के जमने से पीडि़त को धुंधला दिखाई देने की शिकायत होती है। अधिक उम्र संबंधी आंख की समस्या मैक्युलर डिजनरेशन में भी रेटिना के मध्य भाग की कोशिकाओं में खराबी और कमजोरी आने पर रिसाव होने लगता है।

लक्षण : नजर कमजोर होना, आंखों के किनारे वाले भागों में अंधेरा छाना, पढऩे में दिक्कत होना और गंभीर अवस्था में तेज दर्द होता है।

इलाज
पौष्टिक खानपान (हरी सब्जियां व फल) से आंखों को स्वस्थ रखें। संक्रमण होने पर बिना डॉक्टरी सलाह के आईड्रॉप प्रयोग में न लें। साल में एक बार व जो डायबिटिक हैं उन्हें साल में दो बार आई चैकअप करवाना चाहिए। लेजर तकनीक से सर्जरी करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार गर्म पानी में रुई डुबोकर निचोड़ें। इससे आंखों की सिकाई करें।

ये ध्यान रखें
– आंखों के रेटिना, कॉर्निया और लिक्विड चैंबर्स को सुरक्षित रखने के लिए ड्राइविंग करते समय हेलमेट जरूर पहनें।
– चश्मा इस्तेमाल में लें।
– मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल व हाई बीपी को नियंत्रित रखें।
– धूम्रपान व शराब से दूरी बनाएं।
– दिन में 2-3 बार आंखों पर सामान्य पानी के छींटें दें।
– भ्रामरी प्राणायाम और योग से भी आंखों को लाभ मिलता है।
– त्रिफला चूर्ण और आंवला खाएं।
– बादाम, मुनक्का, सौंफ, गाय का देसी घी खाने में नियमित इस्तेमाल करने से आंखें स्वस्थ रहती हैं।



Source: Health