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Save Life : सुसाइड से पहले कैसे करें व्यक्ति की पहचान

लाइलाज बीमारियों, दांपत्य जीवन में मुश्किलों, प्रेम प्रसंग, परीक्षा व व्यवसाय में फेल होने जैसी स्थितियां आत्महत्या की वजह बनती हैं। कई बार अवास्तविक लक्ष्यों की विफलता भी घातक हो जाती है। विफलता का सामना करने, परिजनों की उम्मीद पर खरा न उतरने से युवा अपना जीवन खत्म करने का कदम उठाते हैं। नशा भी बड़ा कारण है।
… तो आशंका ज्यादा
परिवार के इतिहास में यदि किसी ने Sucide की हो तो भी ये आशंका कई गुना बढ़ जाती है। स्त्रियों में आत्महत्या की प्रवृत्ति ज्यादा होती है लेकिन पुरुष अधिक आत्मघाती तरीकों को अपनाते हैं। इस कारण उनमें मौत की आशंका ज्यादा होती है। युवा और वृद्धावस्था में इसका खतरा काफी ज्यादा होता है।

ऐसे करें पहचान
Sucide करने से पहले व्यक्ति एकांत में रहने लगता है। बेपरवाह, उदास रहता है। छोटी बात पर झुंझलाना, निराशापूर्ण बातें, काम में अरुचि, कीमती सामान किसी को भी देने लगता है। यदि वह ऐसी बातें करे कि- मैं घर-परिवार के किसी काम का नहीं हूं, मेरी जिन्दगी में अंधेरा दिख रहा है, ऐसा लगता है कि मेरी जिम्मेदारियां पूरी हो गयी हैं, अब और जीने से क्या फायदा? मेरे रहने न रहने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है। झिझकें नहीं, खुलकर बात करें और मनोचिकित्सक को दिखाएं।

Sucide की रोकथाम हेतु सुझाव
1- हाई रिस्क ग्रुप (स्कूल, कॉलेज, प्रतियोगी परीक्षार्थी, किसान) का मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण जरूरी है। Mental Problems की पहचान होगी।
2- परिवार का मानसिक सपोर्ट जरूरी है। परिवार के सदस्य संवेदनशील बनें। विफलता या ज्यादा चिड़चिड़ापन बढऩे पर उसकी बातों को इग्नोर न करें।
3- बचपन से ही बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाएं। पाठयक्रम में संबंधित अध्याय जरूरी है। शिक्षकों को मानसिक रोगों के प्रति जानकारी जरूरी है।
4- घरों में खतरनाक हथियार, कीटनाशक या ऐसी चीजें रखने में विशेष सावधानी बरतें।
काउन्सलिंग सेंटर, मानसिक रोग विशेषज्ञ के पास जाने से न झिझकें।
मजाक न बनाएं
न मजाक बनाएं न ही कमजोर साबित करें। हौसला बढ़ाएं। इससे आत्महत्या का खतरा घटता है। उसे समझाएं कि समस्याएं जिन्दगी का एक पहलू है। हर समस्या का हल है।

एक्सपर्ट : डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट भोपाल



Source: Health