AI से बदलेगी दुनिया, जानिए क्यों है इतनी खास क्या स्कूल्स के लिए तैयार है एआइ?
Artificial Intelligence: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग के बीच में एक बारीक अंतर होता है। मशीन लर्निंग आमतौर पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का एक सब-सेट होती है। इसमें न्यूरल नेटवर्क का इस्तेमाल करते हुए इस चीज पर जोर दिया जाता है कि दिमाग किस तरह से गणना करता है। इससे ज्यादा क्षमता वाले कम्प्यूटर्स को विकसित किया जाता है ताकि वे ज्यादा चीजें सीखने में सक्षम हो सकें।
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डीप ब्लू का प्रयास
मई 1997 में आइबीएम कम्प्यूटर डीप ब्लू ने तब के शतरंज मास्टर कास्पारोव को शतरंज का मैच हरा दिया था। यह आश्चर्यजनक उपलब्धि थी। डीप ब्लू ने कस्टम वीएलएसआइ चिप्स की मदद से अल्फा बीटा सर्च एल्गोरिद्म को काम में लिया। यह गोफाई ( गुड ओल्ड फैशन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) का अच्छा उदाहरण है जो कि कई सालों बाद अस्तित्व में आया।
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कॉम्प्लेक्स ब्रेन की तरह काम करता है
डीप ब्लू एक बड़ा कॉम्प्लेक्स ब्रेन था जो चीजों को याद रखने और उन्हें दोहराने में सक्षम था। यह कई शतरंज की चालें काम में ले सकता था। इसने अपनी गणना और डाटा के आधार पर शतरंज के मास्टर कास्पारोव को खेल से बाहर कर दिया। वहीं दूसरी ओर अल्फा गो एक अलग ही प्रयोग था। इसमें शतरंज खेल से जुड़े लाखों संभावित कॉन्फिग्रेशन्स मौजूद थे।
चीजें सीखने के लिए किया गया तैयार
शुरुआत में गो कम्प्यूटर शक्ति का उपयोग करके नहीं जीत सकता था। बाद में इसमें आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क (एएनएन) से डिजाइनिंग की गई। एएनएन कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी के टुकड़ों की तरह हैं। इन्हें एक प्रगतिशील जालीदार नोड्स के रूप में डिजाइन किया गया है। यह इंसानी दिमाग की तरह सूचनाओं को प्रोसेस कर सकते हैं। इसे और बेहतर बनाया जा रहा है।
असल आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की जरूरत
अभी कक्षाओं में असली आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रवेश नहीं हुआ है। अभी एआइ कंप्यूटर्स का न्यूरल नेटवर्क मिरर करना शुरू करेगा। इससे लर्नर मुश्किल को समझकर उसे हल करने की प्रक्रिया में आगे बढक़र सकेगा। इसके लिए स्किल्स डवलपमेंट, एप्लीकेशन और इनपुट पर ध्यान देना होगा। देखना यह है कि कौनसी एजुटेक दुनिया को महत्वपूर्ण दिशा देती है।
एएनएन का कमाल
एएनएन (आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क) में हर नोड अलग इनपुट्स भेजता और प्राप्त करता है। वह एक खास प्रोग्राम को फॉलो करता है। वह दूसरे नोड्स के आउटपुट का आकलन कर सकता है। सिस्टम इस तरह से ऑपरेट करता है कि यह अपने आप सीखता है।
पर्सनलाइज्ड लर्निंग
क्या अभी हम उस स्तर तक पहुंच पाए हैं कि कक्षाओं में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को काम में लेने लगें? अभी पर्सनलाइज्ड लर्निंग का ध्यान नहीं रखा जाता है। भविष्य में कोर्स के कंटेंट को यूजर्स के मुताबिक पर्सनलाइज बनाया जा सकता है।
Source: Education