fbpx

होम्योपैथी हो या नैचुरोपैथी हर डॉक्टर अपनी पैथी से भगा रहे जानलेवा कोरोना

इंदौर. शहर के फारूकी परिवार के तीन बेटों ने मां को ठीक करने के लिए घर को अस्पताल बनाकर मिसाल कायम की है। कोरोनाकाल में ऐसी धारणा है कि एलोपैथी से ही मरीजों का इलाज हो सकता है, लेकिन अन्य पैथियां भी हैं, जिसमें प्री और पोस्ट कोविड का प्रभावी इलाज है। इतना हीं नहीं इनसे संक्रमितों का इलाज भी किया जा रहा है। होम्योपैथी, नैचुरोपैथी और आयुर्वेद के कई डॉक्टर ने सैकड़ों लोगों को कोरोना से निजात दिला चुके हैं। अन्य पैथियों में किस तरह से इलाज हो रहा है इसकी एक रिपोर्ट…
होम्योपैथी : ऑक्सीजन लेवल कम था फिर भी ठीक हुए
शहर में करीब 400 होम्योपैथी के डॉक्टर हैं। वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर एके द्विवेदी ने बताया कि अब तक मैं ऑनलाइन और ऑफ लाइन के जरिए करीब २५० मरीजों को देख चुका हूं, जो कि प्री-पोस्ट और संक्रमित मरीज थे। होम्योपैथी में प्रभावी इलाज मौजूद है। 65 वर्ष के पूर्व सरकारी अधिकारी के परिवार के कई सदस्य कोरोना संक्रमित हुए। वो परिजन के सीधे संपर्क में भी थे, लेकिन वे संक्रमित नहीं हुए, क्योंकि वे कोरोना से बचाव की होम्योपैथी दवा पहले से ही ले रहे थे। तिलक नगर निवासी 70 वर्षीय महिला को बीपी, शुगर था साथ ही कोरोना हुआ। एलोपैथी के प्रोटोकॉल के साथ ही उन्होंने होम्योपैथी की दवा ली। कुछ ही दिन में वो ठीक हो गई। भोपाल निवासी ५० वर्ष की महिला को कई बीमारियां थीं, उनका ऑक्सीजन लेवल भी 90 से कम था। शहर के कई अस्पताल में उन्होंने बेड ढूंढा, लेकिन नहीं मिला। उनकी बेटी डॉक्टर हैं। ऐसे में उन्होंने घर पर ही इलाज किया। होम्योपैथी की दवाओं से उन्होंने कोरोना को मात दी। इसी तरह उज्जैन में पदस्थ एक थाना प्रभारी को कोरोना होने पर अस्पताल में भर्ती किया गया। अस्पताल से छुट्टी होने के बाद उन्हें कमजोरी, सांस लेने में दिक्कत आ रही थी। सीटी स्कैन करवाने पर उनमें इंफेक्शन निकला। 1 महीने तक होम्योपैथी दवा लेने के बाद पूरी तरह वे स्वस्थ्य हो गए।
नैचरोपैथी : रिपोर्ट पॉजिटिव, इलाज के बाद नेगेटिव
इस पैथी में बिना दवाइयों के प्राकृतिक तरीके से इलाज किया जाता है। ये पैथी उन लोगों के लिए लाभदायक साबित हुई जो धार्मिक मान्यताओं के चलते दवाइयों का सेवन नहीं करते हैं। नैचरोपैथी के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ राघवेन्द्र सिंह ने बताया कि करीब ५५ कोविड पॉजिटिव मरीजों का मैं इलाज कर चुका हूं। नैचरोपैथी की थैरेपी के माध्यम से डर, तनाव, सर्दी-खांसी, संक्रमण और बुखार को खत्म कर कोरोना को मात दी गई। इलाज के बाद रिपोर्ट नेगेटिव आई। पहले मरीज की ७ दिन की डाइट प्लान की जाती है। इसी के साथ धूप और हरियाली से जोडक़र मरीज में पॉजिटिविटी लाई गई। सर्दी-खांसी और इंफेक्शन के लिए हल्दी की भाप, जलनेति और हल्दी-नमक के गरारे की मदद की गई। नींद, सिरदर्द और थकान के लिए हॉट फूट बॉथ का उपयोग किया गया।
आयुर्वेद: कोरोना में काढ़ा है कारगर
आष्टांग आयुर्वेदिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ सतीश शर्मा ने बताया कि जब से कोरोना ने भारत में प्रवेश किया है तब से ही आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद के लिए गाइडलाइन जारी की है। कुछ दवाओं की अनुमति सरकार दी है। मंत्रालय ने कम लक्षण वाले मरीजों के लिए संशमनी वटी और काढ़ा के साथ ही कुछ दवाओं देने की अनुमति दी है। कम लक्षण वाले कई मरीज सरकारी और निजी आयुर्वेदिक डॉक्टरों से इलाज करवा रहे हैं। कई लोगों को इससे फायदा हुआ है। इसी तरह योग से भी मरीजों को ठीक होने में मदद मिल रही है। एलोपैथी समेत सभी पैथियों में योग करवाया जा रहा है।



Source: Education