मोबाइल मैसेजिंग की सुरक्षा का डर अब नहीं सताएगा लोगों को, छत्तीसगढ़ के प्रोफेसर ने रिसर्च ने निकाला है अनोखा तोड़
भिलाई. अभी तक आपने मैसेजिंग ऐप (Mobile Messaging app) में ही सुरक्षा के लिहाज से एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन तकनीक के बारे में सुना और देखा होगा। इस तकनीक की मदद से भेजा गया मैसेज वही देख सकता है, जिसे आप दिखाना चाहते हैं। सामान्य मैसेज में एनक्रिप्शन का उपयोग नहीं होता था। संतोष रूंगटा इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर अजय सिंह कुशवाहा ने एक कदम आगे बढ़ते हुए सलेक्टिव एनक्रिप्शन को नए सिरे से डिजाइन किया है। इसकी मदद से अब सामान्य मैसेज पढऩे के लिए आपको ‘एनक्रिप्शन-कीÓ कि जरूरत होगी। एक तरह का पासवर्ड होगा, जिसके बिना इस मैसेज को भी नहीं पढ़ा जा सकेगा। इसका उपयोग सरकारी अधिकारी, सैन्य निगरानी और सुरक्षा मुस्तैदी कार्य में लगे लोग कर पाएंगे।
बिखर जाएंगे एनक्रिप्ट शब्द
प्रोफेसर कुशवाहा ने बताया कि भेजे गए सुरक्षात्मक मैसेज के उन जरूरी शब्दों को एनक्रिप्ट किया जाएगा। यानी मैसेज में कही बातें यदि कोई अन्य डिवाइस में बिना पासवर्ड देखने की कोशिश करेगा तो वह शब्द बिखर जाएंगे। इसके शब्दों को डिवाइस अन्य ही किसी लैंग्वेज में दिखाएगा। उन्होंने कहा कि किसी मोबाइल एडहॉक नेटवर्क में अभी टेक्स एनक्रिप्शन मैथेड तैयार किया गया है। जल्द ही ऑडियो, वीडियो, इमेज में भी एनक्रिप्शन तकनीक पर काम शुरू करेंगे। स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय ने उनके इस आइडिया की सराहना की है। सीएसवीटीयू से ही उन्होंने इस विषय में अपनी पीएचडी भी पूरी की है।
क्यों पड़ी इसकी जरूरत
अजय ने बताया कि हाल ही में मैसेजेस की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं। कई ऐप भेजे गए संदेश की सुरक्षा को लेकर एनक्रिप्शन पॉलिसी में बदलाव कर रहे हैं। इससे संदेश भेजने वाले और पाने वाला का पूरा डेटा उसके पास था, और वो उसे देख भी सकते थे। अब मोबाइल टेक्स्ट मैसेज एनक्रिप्शन के बाद जल्द ही इसे आम लोगों के लिए भी आसान करने की दिशा में काम चल रहा है। अजय ने बताया कि इस तकनीकी के उपयोग से न सिर्फ मैसेज बल्कि ईमेल को भी सुरक्षित रखा जा सकेगा। उनके इस प्रयास पर संस्थान के चेयरमैन संतोष रूंगटा और डायरेक्टर सोनल रूंगटा ने हर्ष व्यक्त किया है।
Source: Education