fbpx

कोरोना-ब्लैक फंगस, हर मरीज को सरकार ने ले रखा ‘गोद’, 5 लाख तक की दवाई निशुल्क

मोहम्मद इलियास/उदयपुर
कोरोना की दूसरी लहर और उसके बाद ब्लैक फंगस का महामारी के रूप में आना आम आदमी के लिए त्रासदी भरा रहा है। ऐसे में गरीब परिवार के लिए इनकी महंगी दवाइयों का खर्च वहन करना संभव नहीं। राज्य सरकार ने इसके मद्देनजर आम आदमी का ध्यान रखा और दोनों बिमारियों के इलाज में काम आने वाली महंगी दवाओं को सरकारी अस्पतालों में निशुल्क उपलब्ध करवाया।इन दवाओं में से कुछ तो इतनी महंगी है कि उनका खर्च वहन करना आम आदमी की जीवनभर की कमाई खत्म कर सकता है। राज्य सरकार ने ऐसी सभी दवाइयों को निशुल्क दवा योजना में सम्मिलित करते हुए सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध करवाया है। साथ ही अधिकांश दवाएं निजी अस्पतालों में भी रियायती दरों पर दी। इसके चलते मरीजों के इलाज में किसी तरह की कमी नहीं आई। राज्य में संचालित निशुल्क दवा योजना के तहत सभी जिलों में स्थापित मेडिकल औषधि भंडारोंंं से दवा के वितरण एवं भंडारण किया जा रहा है।

महंगें कोर्स की भी प्रक्रिया
कुछ अन्य दवाइयों में जैसे- कैप्सूल इसावुकोनाजोल, जिसके एक मरीज के लिए पूरे कोर्स की कीमत करीब 6 लाख रुपए है। इसे भी निशुल्क उपलब्ध करवाने की प्रक्रिया राज्य सरकार के स्तर पर चल रही है।

ब्लैक फंगस की स्थिति
– एमबी चिकित्सालय में भर्ती मरीज- 144
– अब तक सर्जरी हुई- 17
– इसमें कोरोना पॉजिटिव- 81
– नेगेटिव मरीज- 63
—-
कोरोना की स्थिति
अब तक कोरोना के कुल मरीज- 56107
ठीक होकर घर लौटे मरीज- 55186
होम आइसोलेशन में मरीज- 61
एक्टिव मरीज- 192
अब तक मृत्यु हुई- 729

दवा और उसकी बाजार कीमत
कोविड के लिए दवाएं- 2 डीजी (डी-ऑक्सी ग्लूकोज) – 14 हजार
– रेमडेसिविर इंजेक्शन – 36 हजार
– टोसिलिजुमैब इंजेक्शन – 50 हजार से 1 लाख
– फेविपिराविर टैबलेट – 6 हजार
– इटोलिजुमैब इंजेक्शन – 35 से 70 हजार
– इंजेक्शन पिगाइलेटेट इंटरफेरान एल्फा-2बी – 20 हजार
– इंजेक्शन एंटी बॉडी कॉकटेल – 60 हजार
– टेबलेट बेरिसिटिनिब – 42 हजार

ब्लैक फंगस के लिए दवा
– इंजेक्शन लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी – 4 से 6 लाख
– इंजेक्शन पोसाकोनाजोल – 90 हजार
– टेबलेट पोसाकोनाजोल – 25 हजार

कोरोना और उसके बाद म्यूकोरमाइकोसिस अथवा ब्लैक फंगस की महामारी के दौरान इलाज के लिए जितनी भी नई औषधियां अनुमोदित की गई। उन्हें राज्य सरकार की ओर से आरएमएससी जयपुर से सरकारी अस्पतालों में निशुल्क वितरण के लिए उपलब्ध करवाया है। बाजार में कमी के कारण कई औषधियोंं को निजी चिकित्सालयों में राज्य सरकार ने निर्धारित दरों पर जारी भी किया गया है।
डॉ. दीपक सेठी, नोडल ऑफिसर, औषधि भंडार आरएनटी

ब्लैक फंगस को लेकर गलतफहमी थी कि जिन्हें कोरोना हुआ या ऑक्सीजन पर रहे उन्हें ही यह रोग हुआ है। 52 प्रतिशत लोग तो सीधे ही घर से अस्पताल में भर्ती हुए। पूर्व में उन्हें तो कोरोना भी नहीं था। ब्लेक फंगस में ग्रसित लोगों में 75 प्रतिशत पुरुष हैं, जिनमें से 74 प्रतिशत तो ग्रामीण इलाके से हैं। रोगियों में 48 प्रतिशत को पूर्व में कोरोना हुआ। सरकार निशुल्क इलाज कर रही है।
डॉ. लाखन पोसवाल, प्राचार्य, आरएनटी मेडिकल कॉलेज



Source: Education

You may have missed