Daslakshan Parv: दसलक्षण पर्व पर हुई उत्तम तप की आराधना, मोक्ष प्राप्ति का बताया मार्ग
छिंदवाड़ा. जिस प्रकार स्वर्ण अर्थात सोना सोलह आने तप कर शुद्धता को प्राप्त होता है एवं उसकी समस्त कालिका अशुद्धि नष्ट होकर शुद्धता को प्राप्त होती है, उसी प्रकार संसारी जीव की आत्मा उत्तम तप के प्रभाव से समस्त कर्म कालिका को नष्ट कर शुद्ध होकर परिपूर्ण सुख स्वरूपी सिद्ध दशा अर्थात मोक्ष की प्राप्ति करता है। यह उद्गार स्वाध्याय भवन में दसलक्षण पर उत्तम तप धर्म के दिन दिल्ली से आई ब्र. राजकुमारी ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि तप 12 प्रकार के होते हैं, जिसमें छह अंतरंग और छह बहिरंग शामिल है। इनका परिपूर्ण पालन दिगम्बर जैन महामुनिराज करते हैं, जिनके हम दासानुदास हैं। नई आबादी गांधी गंज के पाŸवनाथ जिनालय में मुम्बई से पधारे प. विनय शास्त्री ने लघु जैन सिद्धांत की कक्षा में कहा कि अनादि काल से संसारी जीव को कर्म का आश्रव होता है और उन कर्मों से बंधकर जीव आगामी पर्याय का बन्ध करता है। फिर जन्म फिर कर्मो का बन्ध फिर संसार और जन्म मरण के चक्कर में सिर्फ और सिर्फ दु:ख ही दु:ख उठाता है। अब अवसर आया है उत्तम क्षमादि दसलक्षणों के माध्यम से उत्तम तप के प्रभाव से कर्मों की निर्जरा करते हुए शुद्धात्मा का सच्चा परिचय कर भक्त से भगवान बनने वाले मार्ग पर चलने का, जिसका पूरा लाभ हम सबको उठाना चाहिए। दसलक्षण महापर्व को मनाने का यही उद्देश्य है। वहीं दसलक्षण पर्व पर साहित्यिक कार्यक्रमों की कड़ी में स्वाध्याय भवन में पाठशाला के विद्यार्थियों ने प्रथमानुयोग के आधार पर सुंदर पात्रों के आधार पर लघु नाटिका कर सभी का मन मोहा।
आज मनेगा उत्तम त्याग धर्म
सकल दिगम्बर समाज के साथ मुमुक्षु मण्डल एवं जैन युवा फेडरेशन मंगलवार को भादों सुदि बारस को उत्तम त्याग धर्म की आराधना करेगा।
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