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350 रुपए पेंशन के लिए 100 किमी का सफर, एक दिन में खर्च हो गए 300 रुपए, 72 साल के पितांबर ने दर्द किया बयां

कोरबा. बहुत निर्धन व असहाय हूं, मुझे शासन से राशन मिलता था। वह तीन साल से बंद है। निराश्रित पेंशन (Pension) मिल रहा था। वह भी 13 महीने से नहीं मिल रहा है। अब जीवन चलाना मुश्किल हो गया है।
जिले के अंतिम छोर पर बसे गांव बनखेता से जिला मुख्यालय पहुंचे 72 साल के पितांबर ने अपने आवेदन में इन बातों का उल्लेख किया था। पितांबर के साथ गांव के वृद्ध कोटवार गंगाराम भी कलेक्टोरेट पहुंचे हुए थे। पितांबर यादव को हर महीने मिलने वाले 350 रुपए के सरकारी पेंशन की उम्मीद में दोनो के कलेक्टारेट तक पहुंचने और वापस लौटने में 300 रुपए एक ही दिन में खर्च हो गए।

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पितांबर ने बताया कि बनखेता पोड़ी-उपरोड़ा विकासखंड में स्थित है। जिसकी दूरी जिला मुख्यालय से लगभग १०० किलोमीटर है। यहां आने में ही काफी पैसे खर्च हो गए हैं, पता नहीं पेंशन कब मिलेगा? मेरे साथ मेरी पत्नी का पेंशन रोक दिया गया है, जिसकी शिकायत करने आया हूं। पितांबर ने बताया कि इसी पेंशन और सरकारी राशन से जीवन की गाड़ी चलती थी, नहीं मिलने से पहिये थम गए हैं। पितांबर के साथ ही गांव के कोटवार गंगाराम भी कलेक्टोरेट पहुंचे थे। गंगाराम ने बताया कि इस विषय में सरपंच सचिव से कई बार कह चुके हैं, लेकिन वो काम नहीं करते। मेरी पत्नी का पेंशन भी बंद हो गया है। हर महीने वृद्धापेंशन के तौर पर मिलने वाली 350 रुपए की राशि हमारे लिए बड़ा सहारा है।
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समाज कल्याण विभाग से इस विषय में जानकारी ली गई, तब पता चला कि जनपद स्तर से पेंशन वितरण में लापरवाही हुई है। ग्राम पंचायत व जनपद स्तर पर छोटी-छोटी शिकायतों की कोई सुनवाई नहीं होती। इसके कारण लोग सीधे जिला मुख्यालय तक पहुंच जाते हैं। हालांकि पितांबर के आवेदन पर जिला स्तर से कार्रवाई शुरू की गई है।

-जनपद स्तर से पेंशन वितरण कुछ खामी थी। रिकॉर्ड दुरूस्त कर दिया गया है। आगामी माह से पितांबर सहित उनकी पत्नी को भी पेंशन मिलने लगेगा। मुकेश दिवाकर, परीविक्षा अधिकारी, समाज कल्याण विभाग

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Source: Education

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