प्रभु के अनुग्रह से आत्मा का विकास
कोयम्बत्तूूर. आचार्य विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने कहा कि प्रभु की कृपा से ही मनुष्य जीवन मिला है। आत्मा का जो भी विकास हुआ है वह प्रभु का ही अनुग्रह है। प्रभु के आलंबन के बिना संसार में कोई भी आत्मा विकास के मार्ग पर आगे नहीं बढ़ सकती।
गुरुवार को बहुफणा पाश्र्वनाथ जैन भवन में चातुर्मास कार्यक्रम के तहत धर्मसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जो सदैव परोपकार करता है, दूसरों के दुख को दूर करने का प्रयास करता है वही सज्जन कहलाता है। दुखी के दुख की उपेक्षा करने वाला सज्जन नहीं कहला सकता। उन्होंने कहा कि अच्छा डॉक्टर वही है जो दर्द की उपेक्षा न कर उसका इलाज करे। दुख से ज्यादा दोष अधिक खतरनाक है। दुर्घटना में घायल व्यक्ति को तो एक जीवन का दुख है लेकिन आत्मा तो परलोक में भी साथ चलती है। शारीरिक रोगों से आत्मा में लगे रोग अधिक खतरनाक है। आत्मा के रोग दूर करने के लिए प्रभु का अनुग्रह आवश्यक है। प्रभु के आलंबन से संसार सागर से पार पाना संभव है। उपेक्षा की तो इसी संसार में डूब जाना तय है।
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