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कहने को शहरी क्षेत्र, सुविधाएं गांवों से भी बदतर

राजाखेड़ा. कहने को तो अम्बरपुर गांव नगरपालिका शहरी क्षेत्र में शामिल हैं। लेकिन सुविधाएं गांवों से भी बदतर है। हालात यह है कि कच्चे रास्ते और कीचड़ के कारण आए बच्चे व बुजुर्ग फिसलकर चोटिल होते रहते हैं। अम्बरपुर गांव में शहरी क्षेत्र के 4 वार्ड शामिल हैं। नगरपालिका क्षेत्र की 15 फीसदी आबादी यहां निवास करती है। गांव ने पालिकाध्यक्ष के अलावा विधानसभा के लिए विधायक भी दिया है, लेकिन यह क्षेत्र आजादी के बाद से ही उपेक्षित बना रहा। जिसके चलते न तो इसमें शहरी क्षेत्र के आधार पर विकास हो पाया, न ही ग्रामीण क्षेत्र की सुविधाएं मिल पाई। इसके चलते यहां नारकीय हालात बने हुए हैं। जिससे नागरिकों में निराशा का माहौल है। क्या हैं हालात

अम्बरपुर क्षेत्र में एक से चार तक वार्ड समाहित हैं। जिनमें १५ हजार से अधिक आबादी निवास करती है, लेकिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव और प्रशासनिक उपेक्षाओं के चलते यहां अभी तक कोई सुविधा मुहैया नहीं पा रही हैं। कच्ची बस्तियों की गलियों में घुटनों तक हमेशा भरा रहने वाला गंदा पानी सड़ांध का माहौल तो बनाए रखता ही है, इसमें गुजरने से लोगों की त्वचा भी खराब हो रही है। स्कूली छात्र-छात्राओं को सबसे ज्यादा परेशानी होती है, तो महिलाएं तो दिनभर पशुओं के चारा पानी की व्यवस्था में कीचड़ में होकर निकलने को मजबूर हैं। मच्छरों का बड़ी संख्या में प्रजनन के चलते लोगों को न दिन में चैन है और न रात में। वहीं बीमारियों का अंदेशा तो हमेशा ही मंडराता रहता है। क्या हैं कारणगांव में नगरपालिका द्वारा सड़कों का तो निर्माण करा दिया गया, लेकिन दूषित जल निकासी की व्यवस्था के लिए नालियां नहीं बनाई गई हैं। जिसकी वजह से गांव का निष्काषित दूषित जल जल सड़कों पर ही भर जाता है। गांव की बड़ी पोखर व अन्य पोखरे दबंगों की दबंगई और प्रशासन की लापरवाही के चलते अतिक्रमित होकर प्राय: समाप्त हो चुकी हैं। ऐसे में गांव की जलग्रहण व निष्क्रमण व्यवस्था पूरी तरह खत्म हो चुकी है। शहरी क्षेत्र से अलग और दूर होने के चलते पालिका के सफाईकर्मियों की ड्यूटी भी यहां नहीं लगाई जाती। ऐसे में कचरा निष्क्रमण की व्यवस्था भी यहां नहीं है, जो हालात को विकट बना रही हैं। नहीं सुनते अधिकारीस्थानीय ग्रामीण मनोज, सुरेश, गीता आदि ने बताया कि वे वर्षों से नगरपालिका के अधिकारियों को इन हालात को सुधारने की फरियाद करते करते थक चुके हैं, लेकिन कभी कोई कार्यवाही नहीं की गई।



Source: Education