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अब जिन्ना को पढ़ाया जाएगा कन्नूर विश्वविद्यालय के सिलेबस में

नई दिल्ली। दक्षिणपंथी हिंदू विचारधारा से जुड़े कंटेंट को सिलेबस में शामिल करने पर विवादों में आई कन्नूर यूनिवर्सिटी ने अब पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना को भी सिलेबस में शामिल करने का निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार एम.ए. पॉलिटिक्स कोर्स के थर्ड सेमेस्टर में जिन्ना के बारे में पढ़ाया जाएगा।

एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिश सिलेबस को रिवाईज किया गया है और इसे विश्वविद्यालय की एकेदमिक काउंसिल ने भी अपनी अनुमति दे दी है। इसके साथ ही कोर्स में कुछ बदलाव भी किए गए हैं। यूनिट 2 का नाम भी “थीम्स इन इंडियन पॉलिटिकल थॉट” को बदल कर “नेशन एंड नेशनलिज्म इन इंडिया पॉलिटिकल थॉट : ए क्रिटिक” कर दिया गया है। कमेटी ने आरएसएस के विचारक एम. एस. गोलवलकर तथा विनायक दामोदर सावरकर से जुड़े कुछ कंटेंट को भी हटाने का निर्णय लिया है।

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कोर्स से दीनदयाल उपाध्याय तथा बलराज मधोक पर लिखा गया कंटेंट भी हटाया गया है। उनके स्थान पर मौलाना अबुल कलाम आजाद, पेरियार ई.वी. रामासामी, राम मनोहर लोहिया तथा ई. एम. एस. नम्बूदिरीपाद के बारे में जानकारी जोड़ी गई है, जो पहले नहीं थी। हालांकि KSU, MSF तथा AIYF द्वारा उठाई गई आपत्तियों में से कुछ को अभी भी कोर्स में रखा गया है।

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इस संबंध में एक्सपर्ट कमेटी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि छात्रों को अलग-अलग नेताओं के पॉलिटिकल विचारों के बारे में जानना और समझना चाहिए। सिलेबस को रिस्ट्रक्चर करते समय कमेटी मेम्बर्स ने कहा कि छात्रों को अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं को समझना चाहिए ताकि वे उसी हिसाब से राजनीतिक रूप से सोशियो-कल्चरल और इकोनॉमिक स्ट्रक्चर को भी समझ सकें।



Source: National

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