शारदीय नवरात्रि 2021 : घर में हवन करने की ये है सरल विधि
हिंदुओं में देवी शक्ति की पूजा का प्रमुख पर्व नवरात्रि को माना गया है। ये पर्व साल में 4 बार आता है, इसमें दो गप्त नवरात्रि होती है तो वहीं दो क्रमश: चैत्र नवरात्रि व शारदीय नवरात्रि कहलाती है। ऐसे में अधिकांश लोग चैत्र व शारदीय नवरात्र को धूमधाम से मनाते हैं। इन दिनों साल 2021 का शारदीय नवरात्र पर्व शुरु हो चुका है।
पंडित एके शुक्ला के अनुसार नवरात्र में यज्ञ, हवन का विशेष महत्व माना जाता है, ऐसे में लोग अपने घरों या मंदिरों में देवी मां को प्रसन्न करने के लिए हवन का आयोजन करते हैं।
इसके तहत नवरात्रि पर सप्तमी, अष्टमी या नवमी की घरों में विशेष पूजा की जाती है। वहीं पूजा के बाद हवन भी होता है। हमारे वेदों के अनुसार यज्ञ 5 प्रकार के बताए गए हैं, जिनमें ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृयज्ञ, वैश्वदेव यज्ञ और अतिथि यज्ञ शामिल है।
ऐसे में अग्निहोत्र कर्म देवयज्ञ है और इसी को हवन भी कहते हैं। यह देवयज्ञ यानि अग्निहोत्र कर्म कई तरह से किया जा सकता है। वहीं नवरात्रि के दौरान भी देवी माता के निमित्त यह किया जाता है। पंडित शुक्ला के अनुसार यदि आप स्वयं भी घर में हवन करना चाहते हैं, तो उसे कैसे करना है इसकी एक छोटी और आसान विधि इस प्रकार है।
हवन के लिए इन चीजों की पड़ती है जरूरत: हवन के लिए हवन कुंड, हवन सामग्री के अलावा हवन विधि की जानकारी होना भी सबसे आवश्यक होता है।
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हवन सामग्री : दरअसल किसी भी यज्ञ या हवन के लिए कुछ निश्चित सामग्री का होना आवश्यक होता है, क्योंकि इसी हवन सामग्री की मदद से हम हवन करते है। वहीं जितनी हवन सामग्री हमारे पास हो अच्छा है, यदि नहीं भी है तो भी हवन के लिए हम काष्ठ, समिधा और घी से ही काम भी चला सकते हैं। इसके साथ ही आम की या ढाक की सूखी लकड़ी। नवग्रह की आक, ढाक, कत्था, चिरचिटा, पीपल, गूलर, जांड, दूब, कुशा (नौ समिधा) भी होनी चाहिए।
संपूर्ण सामग्री सूची- इसके तहत कूष्माण्ड (पेठा), पंच मेवा, 15 पान, 15 कमल गट्ठे ,15 सुपारी,गूगल 10 ग्राम, लौंग 15 जोड़े,लाल कपड़ा, 15 छोटी इलायची,शहद 50 ग्राम,2 जायफल, चुन्नी, पीली सरसों, सिन्दूर, उड़द मोटा, ऋतु फल 5, केले, नारियल 1, गोला 2, 2 मैनफल , कपूर, गिलोय, सराईं 5, काली मिर्च,आम के पत्ते, भोजपत्र, सरसों का तेल, पंचरंग, केसर, लाल चंदन, सफेद चंदन, सितावर, कत्था, मिश्री, अनारदाना।
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चावल डेढ़ किलो, घी एक किलो, जौ 1.5 किलो, तिल 2 किलो, बूरा तथा सामग्री श्रद्धा के अनुसार होनी चाहिए। अगर, भोजपत्र, इन्द जौ,तगर, नागर मोथा,कपूर कचरी, बालछड़, छाड़छबीला, सितावर, सफेद चन्दन बराबर मात्रा में थोड़ी ही सामग्री में मिलाएं।
हवन कुंड : हवन करने के लिए आपके पास हवन कुंड होना आवश्यक है। इन दिनों ये पतरे का मिलता है। यदि आपके पास यह नहीं है तो भी आप 8 ईंटों को जमाकर हवन कुंड बना सकते हैं। इसके तहत हवन कुंड को गाय के गोबर या मिट्टी से लेप लें। यहां ध्यान रखें कि कुंड इस तरह का होना चाहिए कि वे बाहर से चौकोर रहें। जबकि उसकी लंबाई, चौड़ाई व गहराई समान हो। इसके चारों और धागा बांध दें। फिर स्वास्तिक बनाकर इसकी पूजा कर लें। इसके पश्चात हवन कुंड में आम की लकड़ी से अग्नि प्रज्वलित करते हैं। और फिर इस पवित्र अग्नि में फल, शहद, घी, काष्ठ आदि चीजों की आहुति दी जाती है।
हवन की विधि : हवन करने से पहले स्वच्छता का ध्यान रखें। इसके तहत सबसे पहले प्रतिदिन की तरह पूजा करने के बाद अग्नि स्थापना करते हुए, हवन कुंड में आम की चौकोर लकड़ी लगाकर, कपूर रखकर जला दें। उसके बाद हवन मंत्रों से आहुति देते हुए प्रारंभ करें।
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- फिर नवग्रह के नाम या मंत्र से आहुति दें। गणेशजी की आहुति दें। फिर सप्तशती या नर्वाण मंत्र से जाप करें। सप्तशती में प्रत्येक मंत्र के पश्चात स्वाहा का उच्चारण करके आहुति दें। प्रथम से अंत अध्याय के अंत में पुष्प, सुपारी, पान, कमल गट्टा, लौंग 2 नग, छोटी इलायची 2 नग, गूगल व शहद की आहुति दें और पांच बार घी की आहुति दें। यह सब अध्याय के अंत की सामान्य विधि है।
तीसरे अध्याय में शहद से गर्ज-गर्ज क्षणं में आहुति दें। वहीं आठवें अध्याय में मुखेन काली श्लोक पर रक्त चंदन की आहुति दें। जबकि पूरे ग्यारहवें अध्याय की आहुति खीर से दें। इस अध्याय से सर्वाबाधा प्रशमनम् में कालीमिर्च से आहुति दें। नर्वाण मंत्र से 108 आहुति दें।
हवन के बाद गोला में कलावा बांधकर फिर चाकू से काटकर ऊपर के भाग में सिन्दूर लगाकर घी भरकर चढ़ा दें जिसको वोलि कहते हैं।
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इसके बाद पूर्ण आहूति नारियल में छेद कर घी भरकर, लाल तूल लपेटकर धागा बांधकर पान,जायफल, सुपारी,बताशा,लौंग व अन्य प्रसाद रखकर पूर्ण आहुति मंत्र बोले- ‘ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा।‘
पूर्ण आहुति के बाद यथाशक्ति दक्षिणा माता के पास रख दें, फिर परिवार सहित आरती करके हवन संपन्न करें और माता से भूलचूक की क्षमा मांगते हुए मंगलकामना करें।
Source: Education