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Cancer Prevention: कैंसर से बचने के लिए खानपान के साथ संतुलित रखें दिनचर्या

Cancer Prevention: आजकल के अनुचित खान पान, असंयमित लाइफस्टाइल, प्रदूषण आैर मादक पदार्थों के सेवन के कारण कैंसर राेग हाेना आम हाे चला है।कैंसर रोगों का समूह है जिसमें कोशिकाएं अनियंत्रित होकर बढ़ती हैं आैर शरीर के अन्य अंगाें काे प्रभावित करती हैं।इसका इलाज समय पर लेने से व्यक्ति की माैत हाे जाती हैं। आइए जानते हैं कैंसर से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में :-

प्रमुख कैंसर
Types Of Cancer:
– महिलाओं में बच्चेदानी (सर्विक्स), स्तन (ब्रेस्ट), एंडोमेट्रियल, ओवेरियन कैंसर के मामले अधिक सामने आते हैं। उम्र बढऩे के साथ ही इन कैंसर का खतरा भी बढ़ता है।ऐसा देखने में आता है कि यदि परिवार के पुरुष को कैंसर है तो फैमिली में महिला को जननांगों, स्तन व अंडाशय का कैंसर हो सकता है। यह एक आनुवांशिक रोग है जिसे मेडिकली ‘लिंचिंग सिंड्रोम’ कहते हैं।

– पुरुष को बड़ी आंत, अमाशय, किडनी और यूरेटरल कैंसर है तो उस परिवार की महिला को बच्चेदानी या बच्चेदानी के मुंह का कैंसर होने का खतरा अधिक रहता है। कुछ परिवारों में ब्रेका-वन और ब्रेका-टू जींस पाए जाते हैं जिनकी वजह से ओवेरियन यानी अंडाशय और स्तन कैंसर होने का खतरा भी अधिक रहता है।

– ओवेरियन (अंडाशय) कैंसर घातक कैंसर की श्रेणी में आता है। इसके लक्षण सामान्य होते हैं जिसकी समय रहते पहचान से बड़ी समस्या से बच सकते हैं। अचानक जी-घबराना, कब्ज व अपच की समस्या के साथ खट्टी डकार आने लगे तो सावधान होने की जरूरत है।

जांचें ( How To Diagnose Cancer )
कैंसर का पता लगाने के लिए मरीज को सीटी स्कैन, एमआरआई और पैट-सीटी स्कैन करवाने की सलाह देते हैं। इसके बाद बायोप्सी जांच सेे कैंसर की हिस्ट्री के साथ कारण का पता लगता है। ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए मैमोग्राफी जांच कराकर कैंसर की स्टेज का पता लगाते हैं।

5 तरह से होता इलाज ( Cancer Treatment Methods )
कैंसर का पता लगने के बाद उसकी स्टेज के आधार पर इलाज तय किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से ऑपरेशन के साथ रेडियोथैरेपी, कीमोथैरेपी, टारगेटेड थैरेपी और इम्युनोथैरेपी इलाज की कारगर प्रक्रियाएं हैं। कैंसर किस अंग का है और उसका फैलाव कितना है इस आधार पर ही अलग-अलग विभागों के चिकित्सकों की राय के बाद ट्रीटमेंट लाइन तैयार की जाती है।

टीकाकरण ( Cancer Vaccine )
बच्चेदानी का कैंसर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) से होता है। 10- 26 साल की वे महिलाएं जिन्होंने शारीरिक संबंध नहीं बनाया हो, उन्हें बच्चेदानी के कैंसर से बचाव के लिए एचपीवी वैक्सीन लगवाने की सलाह देते हैं। इस कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए कोई गाइडलाइन नहीं है। लेकिन महिला को माहवारी के बाद भी यदि अचानक रक्तस्त्राव हो, गंदा पदार्थ निकले या पेट में तेज दर्द की समस्या कुछ समय से हो रही है तो डॉक्टरी परामर्श लें।

एक्सपर्ट से उपचार
महिलाओं से जुड़े कैंसर के इलाज में स्त्री रोग कैंसर विशेषज्ञ की भूमिका अहम है इसलिए गायनी-ऑन्कोलॉजिस्ट से ही इलाज कराएं। कुछ मामलों में ओवेरियन फंक्शन डिस्टर्ब होने के साथ हार्मोनल इंबैलेंस भी होता है जिसका इलाज गायनी-ऑन्कोलॉजिस्ट ही कर सकती है।

ध्यान रखें ( Cancer Prevention )
तंबाकू, शराब व सिगरेट- कोई भी नशा न करें। किसी भी शारीरिक परेशानी को नजरअंदाज न करें।
पौष्टिक खानपान लेंं, नियमित एक्सरसाइज करें। खाने में हरी सब्जी, फल खाएं और दूध की मात्रा बढ़ाएं।
बिना डॉक्टरी सलाह के कोई भी दवा न लें। कैंसर की फैमिली हिस्ट्री है तो समय-समय पर जरूरी जांच कराएं।

इलाज के बाद भी सावधानी ( Precautions for cancer )
कैंसर का इलाज होने के बाद भी सावधानी बरतें व विशेषज्ञ के संपर्क में रहें। यदि इस दौरान दवा ले रही हैं तो उसमें गैप न दें क्योंकि इलाज के दो साल के अंदर कैंसर के दोबारा होने की आशंका रहती है। साथ ही हर तीन माह में एक बार डॉक्टरी सलाह पर जांच करवाते रहें।

आयुर्वेद के नुस्खे ( Ayurvedic Treatment For Cancer )
कैंसर, इम्युनिटी से जुड़ा रोग है। खानपान के साथ दिनचर्या संतुलित रखें। आंवला, शहद व जौ खाएं और पानी अधिक पिएं। सूर्योदय से पहले उठकर पानी घूंट-घूंट कर पीने से शरीर में मौजूद विषैले तत्त्व बाहर निकलते हैं। इम्युनिटी बढ़ाने के लिए सूखे मेवे-हरी सब्जियां खाएं।



Source: Health