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जानिए कैसी होती है बंगाल की दिवाली क्या है चौदह शाक खाने की है परंपरा

नई दिल्ली 16वीं शताब्दी में लि‍खी गई रघुनंदन ठाकुर की किताब “कृत्य-तत्व” में पहली बार भूत चतुर्दशी के दिन चौदह शाक खाने की परंपरा का जिक्र किया गया था |इसमें बताया गया था कि जो लोग कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को 14 प्रकार के साग खाते हैं उन्हें प्रेतों की छाया छू भी नहीं सकती | ऐसी भी मान्यता है कि शाक चतुर्दशी मनाने की शुरुआत साकलद्वीपी ब्राह्मणों ने ही की थी. महाभारत में भी इस चौदह शाक का जिक्र है | हैं इसलिए लोग उपलब्धता के अनुसार 14 प्रकार के साग का उपयोग यह व्यंजन बनाने के लिए करते हैं | चौदह शाक में जिन साग का उपयोग किया जाता है वे हैं सूरन के पत्ते, बथुआ साग केउ साग कसोंदी साग सरसों साग नीम जयंती गरुंडी गुरुचि परवल के पत्ते लसोड़ा हिंग्चा साग घेंटू साग और सुशनी साग हालांकि वर्तमान में इनमें से कई प्रकार के शाक आसानी से नहीं मिल पाते हैं

इस तरह बनाया जाता है चौदह शाक

सामग्री

14 प्रकार के साग 500 ग्राम, सरसों का तेल 4 चम्मच, सूखी लाल मिर्च, कलौंजी 1 चम्मच, लहसुन 4 टुकड़ी अदरक आधा इंच प्याज 1 हरी मिर्च 2 हल्दी पाउडर आधा चम्मच पोस्तो 1 चम्मच सरसों 1 चम्मच नमक स्वादानुसार

बनाने की विधि

कड़ाही में तेल गरम करके उसमें सूखी लाल मिर्च और कलौंजी डालें. कुछ देर बाद बारीक कटा हुआ लहसुन और बारीक कटा हुआ प्याज डालकर तब तक भूनें जब तक प्याज हल्का पारदर्शी न हो जाए | अब इसमें कटे हुए शाग डालकर 2 मिनट तक पकाएं |इसके बाद बारीक कटे हुए अदरक पिसे हुए पोस्तो हल्दी पाउडर पिसी हुई सरसों पिसी हुई हरी मिर्च और नमक डालकर साग को 5 मिनट तक पकाएं |अब इसमें आधा कप पानी डालें और ढककर धीमी आंच पर पकने दें | 15 मिनट बाद ढक्कन हटाकर आंच तेज कर दें और पानी कम होने तक पकाएं |ध्यान रहे कि शाक में पानी इतना ही बचे कि इससे रस टपके नहीं और ज्यादा सूखा भी ना हो अब इसे गरमागरम चावल के साथ परोसें |

तो बंगाल में लोग इस तरह का शाक पकाकर खाते हैं दिवाली के दिन 



Source: Lifestyle

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