fbpx

धौलपुर में भी मंडरा रहा प्रवासी पक्षियों पर मौत का साया, मिला चाइनीज कूट का शव

धौलपुर. प्रवासी पक्षियों पर मंडरा रहा संकट धौलपुर तक आ पहुंचा है। यहां मंगलवार को चीन-मंगोलिया से आने वाले प्रवासी पक्षी चायनीज कूट का शव मिला है। यहां रेलवे स्टेशन के समीप एक खल्ती (गड्ढे में भरा पानी) के पास इस प्रवासी पक्षी का शव मिला है। पक्षी देखने में एकदम स्वस्थ लग रहा है, ऐसे में अचानक मृत्यु का कारण समझ से परे है। बता दें, पिछले दिनों प्रदेश में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी डेमोइसल क्रेन (कुरजां) की मौत हुई है। इसकी वजह रानी खेत नामक बीमारी बताई जा रही है।

यह है रानीखेत रोग

रानीखेत रोग को न्यूकैसल रोग के रूप में भी जाना जाता है। यह एक तीव्र वायरल रोग है, जो पक्षियों के श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है और अत्यधिक घातक है। इससे पहले नवंबर 2019 में सांभर झील में एवियन बोटुलिज्म से बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों की मौत हुई थी। एनजीटी ने इन सामूहिक मौतों में हस्तक्षेप किया था और जांच के लिए एक समिति का गठन भी किया था।

शुरू हो गई है पक्षियों की अठखेलियां

धौलपुर जिले के ताल-बांध और चंबल किनारे भारत के अलावा कई देशों से पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है। फिलहाल यहां स्पून बिल, आइबिस, स्पॉट वील्ड डक, पर्पल मोरेन, सुर्खाब, पोचार्ड आदि प्रवासी पक्षी दिखने लग गए हैं। यह परिदें सिर्फ सर्दियों में ही आते हैं। सर्दी शुरू होते ही पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है। अब करीब चार माह तक इनका यहीं पर ठिकाना रहेगा। मौसम में परिवर्तन होने पर ये पक्षी अपने देशों को लौटने लगते हैं। हजारों मील दूर से पक्षियों यहां आगमन शुरू हो गया है। इनमें कुछ विदेशी तो कुछ भारत देश के हैं। इस वक्त जिले में चाइना, ईस्टर्न साइबेरिया, उत्तरी साइबेरिया, उत्तरी यूरोप, एशिया व सेंट्रल एशिया से आए पक्षी अठखेलियां करने लगे हैं।
धौलपुर है प्रवासी पक्षियों का ठिकाना

धौलपुर जिले में चंबल अभयारण्य, रामसागर, निभी का ताल, हुसैन सागर सहित अनेक स्थानों पर सर्दियों में इंडियन स्कीमर, ब्लैक विंग स्टिल्ट, रडी शेल्डक, ग्रे हेरन, ग्रे लेग गूज, बार हैडेड गूस, रेड क्रिस्टेड पोचार्ड, ब्लैक-बेलिड टर्न, बार हेडेड बीच, गढ़वाल, ब्लैक स्ट्राक, ब्लैक आइबिस, कॉमन क्रेन, स्पून बिल, स्पॉट बिल, नकटा, कारमोरेंट, पिकोक प्रजाति के पक्षियों का प्रवास रहता है।

मिलते हैं सैंकड़ों प्रजातियों के पक्षी

राष्ट्रीय चंबल घडिय़ाल वन्यजीव अभयारण्य में तकरीबन 330 प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं। जिसमें गिद्ध और स्पॉटेड ईगल भी शामिल हैं। इस अभयारण्य के आकर्षक का केंद्र राजहंस है जो नंवबर से मई तक यहां रहते हैं। इसे साल 1979 में राष्ट्रीय अभयारण्य का दर्जा दिया गया। इसकी सीमाएं राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में 5,400 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई हैं।

इनका कहना है

प्रवासी पक्षियों की मौत संवेदनशील विषय है। जांच का विषय है कि ये पक्षी यहां संक्रमित हो रहे हैं या अपने देश से ही संक्रमित होकर आ रहे हैं।
– राजीव तोमर, मानद वन्यजीव प्रतिपालक

स्टाफ को भेज कर मामले को दिखवा रहे हैं। पोस्टमार्टम आदि के बाद ही मौत के कारणों का पता चल सकेगा।

– डी.के. जोशी, डीएफओ, धौलपुर



Source: Education