Chandra Darshan 2021 December: अमावस्या के बाद का चंद्रमा दर्शन होता है बेहद शुभ, जानें पर्व का महत्व और पूजा की विधि और मंत्र
Chandra Darshan 2021: चंद्र दर्शन का हिंदू धर्म में प्राचीनकाल से विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रहा है। दरअसल अमावस्या के बाद का दिन चंद्रदेव के सम्मान में चंद्र दर्शन के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में यूं तो चांद देखने का सबसे अनुकूल समय सूर्यास्त के ठीक बाद का होता है, लेकिन इसके बाद भी एक निश्चित समय तक चंद्र देव के दर्शन किए जा सकते हैं। चंद्र दर्शन के दौरान चंद्र देव की विशेष पूजा और अर्चना की जाती हैं।
जानकारों के अनुसार अमावस्या के ठीक बाद चंद्रमा को देखना अत्यंत शुभ माना गयाा है। ऐसे में भारत में जगहों पर चंद्र दर्शन का यह पर्व उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। अमावस्या तिथि पर पूरे दिन के व्रत के बाद भक्त चंद्र दर्शन की रात चंद्रमा को देखकर ही भोजन करते हैं। वहीं सूर्यास्त के बाद ही चंद्रमा का दिखाई देने के कारण चंद्र दर्शन के लिए सबसे उपयुक्त समय की सटिक जानकारी देनी मुश्किल होती है।
चंद्र दर्शन 2021: तिथि और शुभ मुहूर्त
चंद्र दर्शन की तिथि : 05 दिसंबर, रविवार
चंद्रोदय : 05 दिसंबर, प्रातः 7:52 मिनट पर
चंद्र अस्त: 05 दिसंबर, सायं 6:44 बजे
प्रतिपदा तिथि : 04 दिसंबर, दोपहर 1:13 मिनट से शुरु होकर 05 दिसंबर, सुबह 9:27 बजे
चंद्र दर्शन का महत्व
हिंदू ग्रंथों के अनुसार, चंद्र दर्शन को पवित्रता, खुशी और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा ये भी माना जाता है कि नवग्रहों में से एक होने के कारण चंद्रमा पृथ्वी पर जीवन को भी प्रभावित करता है। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, कुंडली में चंद्र को मन का कारक माना गया है, ऐसे में कहा जाता है कि जिन जातकों का चंद्रमा सकारात्मक या उचित स्थान पर होता है, उनका जीवन सफल रहता है।
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार चंद्र देव का विवाह 27 नक्षत्रों से हुआ है, जो प्रजापति दक्ष की बेटियों (देवी मां सती की बहनें) हैं। वहीं चंद्रदेव के पुत्र बुध होने के कारण भी सौभाग्य, सफलता और ज्ञान के लिए आशीर्वाद लेने के लिए इस दिन भगवान चंद्रमा की पूजा करना शुभ माना जाता है।
Must Read- वैदिक ज्योतिष : चंद्र का कुंडली के चौथे भाव में असर और दुष्प्रभावों से बचने के उपाय
चंद्र दर्शन: ये हैं पूजा विधि
– इस दिन सुबह जल्द उठकर स्नान के पश्चात एक दिन के व्रत ( दिन भर कुछ खाते-पीते नहीं हैं) का संकल्प लेना चाहिए।
– वहीं शाम के समय सूर्यास्त के बाद चंद्रदेव को अर्घ्य देना चाहिए। फिर चंद्रदेव की पूजा भी करनी चाहिए।
– वहीं व्रत का समापन चंद्र दर्शन के बाद ही करना चाहिए।
– इस दिन को चीनी, चावल, गेहूं, कपड़े और अन्य चीजों का दान शुभ माना जाता है।
Source: Dharma & Karma