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आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर में कम हुईं आतंकी घटनाएं, संसद में सरकार ने किया दावा

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने आज संसद में दावा किया है कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से कश्मीर में आतंकी घटनाओं में कमी आई है। आज सरकार ने संसद में इससे संबंधित आंकड़े भी पेश किए हैं। गृह मंत्रालय की ओर से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद से इस केंद्र शासित प्रदेश में आतंकी घटनाएं कम हुई हैं। मौजूद आंकड़ों का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि इस साल आतंकी घटनाएं घटकर 206 हो गई हैं जो 2019 में 255 थीं। दरअसल, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल का जवाब देते हुए इस बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को जिस उद्देश्य से हटाया गया था, उसका असर दिख रहा है।

नित्यानंद राय ने बताया कि अगस्त 2019 से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा में काफी सुधार हुआ है। खास बात यह है कि यहां आतंकी घटनाओं में कमी दर्ज की गई है। इसके साथ ही घाटी में सुरक्षा ग्रिड को और मजबूत किया गया है। वहीं सीमा पार से आतंकवादियों की घुसपैठ में भी काफी कमी आई है। उन्होंने बताया कि इस साल जम्मू-कश्मीर में 206 आतंकी घटनाएं हुईं।

इस दौरान गृह राज्य मंत्री ने इस साल जम्मू-कश्मीर में सेना द्वारा की गई कार्रवाई का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पिछले 12 महीनों के दौरान 165 आतंकवादी मारे गए वहीं 14 आतंकवादियों को हिरासत में लिया गया। नित्यानंद राय ने अनुच्छेद 370 के हटने से पहले के हालातों का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि 2018 में, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले जम्मू-कश्मीर में 417 आतंकी घटनाएं हुई थीं। अब 2021 में यह संख्या लगभग 50 फीसदी तक गिर गई है।

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गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को संसद में विपक्ष के भारी विरोध के बीच जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया था। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया। जम्मू-कश्मीर की पार्टियां और उनके नेता लगातार जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग उठाते रहे हैं। हाल ही में महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को खुली जेल में तब्दील कर दिया है।

महबूबा मुफ्ती का कहना है कि कश्मीर में कोई अपने हक के लिए आवाज भी नहीं उठा सकता। ये सरकार गोडसे की विचारधारा पर काम कर रही है, लेकिन हम गोडसे के कश्मीर में नहीं रह सकते।



Source: National

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