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अलवर जिला एनसीआर में शामिल, आधा जिला औद्योगिक विकास से रहा अछूता

अभी तक तक हाइवे तक सिमटा औद्योगिक विकास
भिवाड़ी, नीमराणा ही औद्योगिक मानचित्र पर चमक सके
प्रदीप यादव
अलवर. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एनसीआर में वैसे तो पूरा जिला शामिल है, लेकिन आधे से ज्यादा जिला अब तक औद्योगिक विकास से अछूता रहा है। हाइवे से जुड़े भिवाड़ी, नीमराणा सहित कुछ अन्य क्षेत्र ही अभी तक औद्योगिक मानचित्र पर चमक पाए हैं। जबकि जिले के आधे से ज्यादा ब्लॉकों में उद्योग लगने का अभी इंतजार है।
पूरे अलवर जिले को एनसीआर में शामिल हुए डेढ़ दशक से ज्यादा समय बीत गया, लेकिन एनसीआर योजना का अलवर जिले को ज्यादा लाभ नहीं मिल पाया है। एनसीआर में शामिल होने से लोगों को जिले में बड़े पैमाने पर विकास की परियोजनाओं के साथ बड़े औद्योगिक क्षेत्र विकसित होने की आस जगी थी। लोगों को उम्मीद थी कि एनसीआर में शामिल होने के बाद अलवर जिले में बड़ी संख्या में औद्योगिक इकाइयां लगेंगी और स्थानीय युवाओं की बेरोजगारी की समस्या का अंत हो सकेगा, लेकिन लंबा समय बीतने के बाद भी अलवर जिले में औद्योगिक विकास गति नहीं पकड़ पाया।

आधे ब्लॉकों तक भी नहीं पहुंच पाया औद्योगिक विकास
अभी जिले के 16 में आधे से ज्यादा ब्लॉक ऐसे हैं, जहां औद्योगिक विकास नगण्य रहा है। केवल नेशनल हाइवे से सटे क्षेत्र भिवाड़ी एवं नीमराणा तक ही अभी पूरी तरह औद्योगिक विकास पहुंच सका है। एक दशक पहले हाइवे सटे बहरोड़, शाहजहांपुर और जिला मुुख्यालय अलवर में औद्योगिक क्षेत्र विकसित होने से बड़े उद्योग लगने की उम्मीद जगी थी, हालांकि अलवर के एमआइए सहित अन्य कुछ क्षेत्रों में औद्योगिक क्षेत्र विकसित भी हुए और कई बडी उद्योग इकाइयां लगी, लेकिन ये औद्योगिक क्षेत्र गति पकडऩे के बजाय मुरझाते ही चले गए। इन दिनों अलवर का एमआईए में गिनी चुनी उद्योग इकाइयों के भरोसे सांस ले रहा, कुछ ऐसा ही हाल बहरोड, शाहजहांपुर का है। इन क्षेत्रों में नए उद्योग लगने की बात दूर, पुराने भी एक-एक कर बंद होते रहे हैं। इनके अलावा ज्यादातर ब्लॉकों में औद्योगिक क्षेत्र विकसित नहीं हो पाए हैं।

इन ब्लॉकों में औद्योगिक विकास की ज्यादा जरूरत
जिले के बानसूर, मुण्डावर, किशनगढ़बास,रामगढ़, राजगढ़, लक्ष्मणगढ़, रैणी,कठूमर,खेरली, मालाखेड़ा, उमरैण सहित कई अन्य ब्लॉकों में औद्योगिक क्षेत्र की दरकार ज्यादा है। औद्योगिक क्षेत्र के अभाव में यहां उद्योग इकाइयां नहीं लग पाई हैं। केवल राजगढ़ में पुराना औद्योगिक क्षेत्र में मिनरल्स की कुछ इकाइयां लगी है। इसके अलावा अन्य ब्लॉकों में औद्योगिक क्षेत्र केवल सरकारी कागजों तक सिमटे हैं।

अलवर के एमआइए को पुनर्जीवित करने की जरूरत
वर्तमान में अलवर के समीपवर्ती एमआइए को पुनर्जीवित करने की सबसे ज्यादा जरूरत है। यहां औद्योगिक क्षेत्र तो है, लेकिन बडे उद्योगों का टोटा है। एमआइए में संसाधन हैं लेकिन उद्यमियों को उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित करने की ज्यादा जरूरत है।

सरकार के प्रयास भी अधूरे
जिले में औद्योगिक वातावरण विकसित करने के लिए सरकार को निवेशकों को अलवर जिले में आकर्षित करने की जरूरत है। सरकार की ओर से पूर्व और वर्तमान में निवेश के लिए प्रयास तो किए गए, लेकिन वे अधूरे ही साबित हुए। कारण है कि अलवर जिले में निवेश के लिए होने वाले ज्यादातर एमओयू भिवाडी व नीमराणा तक सिमटे रहे। एमआइए के लिए कुछ एमओयू हुए लेकिन इनमें से ज्यादातर धरातल पर नहीं आ सके। सरकार को जिले के हर ब्लॉक में औद्योगिक क्षेत्र विकसित कर निवेशकों को अच्छी रोड कनेक्टिविटी, बिजली, पानी आदि संसाधन मुहैया कराने की जरूरत है, जिससे निवेशक जिले भर में उद्योग लगाने को राजी हो सके।

खत्म हो सकती है बेरोजगारी की समस्या
जिले में औद्योगिक क्षेत्र विमसित होने और बड़े उद्योग लगने का सबसे बड़ा लाभ रोजगार के क्षेत्र में होगा। उद्योग लगने से स्थानीय युवाओं को बडी संख्या में रोजगार मिल सकेगा, जिससे युवाओं को रोजगार के लिए अन्य प्रदेशों में जाना नहीं पड़ेगा। इससे जिले में औद्योगिक उत्पादन बढऩे से अर्थ व्यवस्था को गति मिलेगी, जिससे लोगों की क्रय शक्ति बढेग़ी और बाजार में उछाल आने से अलवर जिला आर्थिक रूप से सम्पन्न हो सकेगा।



Source: Education