राजस्थान में नए जिलों को लेकर फिर शुरू हुई सियासत
रुद्रेश शर्मा @ नागौर
प्रदेश में अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की सरकार के तीन साल पूरे होने के साथ ही राजस्थान (Rajasthan) में नए जिलों के गठन को लेकर फिर से सियासत शुरू हो गई है। हाल ही में भाजपा नेता युनूस खान (BJP Leader Yunus Khan) के बयान के साथ ही नागौर का पुनर्गठन कर एक और नया जिला बनाने का ‘जिन्न’ फिर से बाहर निकल आया है। प्रदेश में नए जिलों की मांग कई सालों से चली आ रही है।
2017 में होने वाली थी पांच नए जिलों की घोषणा
आपको बता दें कि वर्ष 2017 में तत्कालीन वसुंधरा राजे (Vasundhra Raje) सरकार के चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर झुंझुनूं में हुई सभा में पांच नए जिलों की घोषणा होनी लगभग तय थी, जो किन्हीं कारणों से टल गई। सूत्रों के मुताबिक सरकार पांच जिलों के टुकड़े कर पांच तहसीलों को नए जिले बनाने वाली थी। इनमें अजमेर जिले के ब्यावर, जयपुर जिले के शाहपुरा, बाड़मेर जिले के बालोतरा, नागौर जिले के डीडवाना और अलवर के बहरोड़ को नए जिला मुख्यालय का दर्जा देने की योजना थी। उस समय भाजपा ने सत्ता में आते ही नए जिलों के गठन के लिए सेवानिवृत आईएएस परमेश चन्द्र की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था।
इस सरकार में कुचामन जिला नहीं बने तो अगली सरकार में बनेगा डीडवाना- यूनुस खान
गत दिनों कुचामनसिटी में पूर्व मंत्री और डीडवाना के विधायक रहे युनूस खान नए जिले को लेकर सियासी बयान दे डाला. मीडिया से अनौपचारिक वार्ता करते हुए खान ने कहा कि अभी महेंद्र चौधरी सत्ता के नजदीक हैं तो अभी कुचामन को जिला बना सकते हैं। यदि अब भी कुचामन जिला नहीं बनेगा तो फिर डीडवाना का विरोध भी मत करना। फिर अगली सरकार में जिला डीडवाना बनेगा। जबकि इस दौरान पूर्व विधायक विजयसिंह भी साथ थे लेकिन उन्होंने इस बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वसुन्धरा सरकार में जिले एवं प्रदेश में खान वसुंधरा के नजदीकी मंत्री रहे है।
कुचामन और डीडवाना दावेदार
नागौर के विभाजन के बाद कुचामनसिटी और डीडवाना में से किसी एक को नया जिला मुख्यालय बनाया जा सकता है। कुचामन की दावेदारी इसलिए है कि कुचामनसिटी से नावां, मकराना, परबतसर और डीडवाना तहसीलों की दूरी लगभग समान है और यह जिले का सबसे विकसित शहर है। यहां जिला मुख्यालय की दृष्टि से सभी व्यवस्थाएं माकूल है।
वहीं डीडवाना की दावेदारी इसलिए रही है कि यहां सबसे पहले अतिरिक्त जिला बना था और कई अतिरिक्त जिले के दफ्तर खोले गए थे। भाजपा सरकार में यहां से मंत्री रहे यूनुस खान का सरकार में दबदबा था। यहां परिवहन विभाग का डिपो भी है।
प्रस्तावित नए जिले में ये हो सकते हैं शामिल
नागौर में नए प्रस्तावित जिले में नावां, मकराना, परबतसर, कुचामनसिटी, डीडवाना, लाडनूं को शामिल करने की योजना है। इसके बाद नागौर में मेड़ता, डेगाना, रियाबड़ी, खींवसर, जायल उपखंड रह जाएंगे।
इन जिलों की सीमाओं को छूता है नागौर
नागौर की जिले की सीमा जयपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बीकानेर, चुरू व सीकर जिलों को छूती है। राजस्थान में पाली के बाद नागौर ऐसा जिला है, जिसकी सीमाएं सर्वाधिक दूसरे जिलों को छूती है।
नेताओं की नाक का सवाल
नागौर जिले का पुनर्गठन न सिर्फ प्रशासन और जनहित के लिहाज से जरूरी है। बल्कि यह स्थानीय नेताओं की नाक का सवाल भी है। नावां कुचामन के मौजूदा विधायक महेंद्र चौधरी (Nawa MLA Mahendra Chodhary) और वरिष्ठ भाजपा नेता युनूस खान के बीच पिछले करीब एक दशक से एक अघोषित प्रतिस्पद्र्धा चल रही है। युनूस खान चाहते हैं डीडवाना नया जिला मुख्यालय बने। इसीलिए भाजपा सरकार में मंत्री रहते हुए उन्होंने यहां अतिरिक्त जिला कलक्टर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, जिला परिवहन कार्यालय व रोडवेज डिपो खुलवाकर इस प्रतिस्प्र्धा में आगे निकलने का प्रयास किया, ताकि जब भी नए जिले का मामला आगे बढ़े तो आवश्यक प्रशासनिक तंत्र पहले से उपलब्ध होने से डीडवाना उसमें आगे रहे। वहीं हाल ही में नावां कुचामन विधायक महेंद्र चौधरी ने कुचामन में अतिरिक्त जिला कलक्टर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उप परिहन कार्यालय खुलवाकर इस स्पर्धा में बराबरी का प्रयास किया है। हाल ही में इसे लेकर दोनों के बीच बयानबाजी भी हुई है।
नए जिले को लेकर अभी तो कोई प्रस्ताव नहीं है। लेकिन जब भी चर्चा चलेगी हम जनहित को देखते हुए इसे मुख्यमंत्री के सामने रखेंगे।
– महेंद्र चौधरी, उपमुख्य सचेतक एवं विधायक नावां-कुचामन
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नागौर जिला भौगोलिक दृष्टि से काफी बड़ा है। जिला मुख्यालय एक छोर पर है। कई ऐसे शहर, ग्राम व कस्बे हैं। जिनसे काफी दूर पड़ता है। नागौर जाने में काफी समय व धन की बर्बादी होती है। डीडवाना भागौलोक दृष्टि से जिला बनने के लायक है। साथ ही जिला स्तर के सभी कार्यालय डीडवाना में है। पिछले 20 साल से यहां अतिरिक्त जिला कलक्टर कार्यालय, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कार्यालय मौजूद है। जिला मुख्यालय लायक सभी सुविधाएं है।
– जितेन्द्र सिंह जोधा, भाजपा नेता, डीडवाना
क्षेत्रफल की दृष्टि से नागौर जिला काफी बड़ा है। जिला मुख्यालय की परबतसर से दूरी करीब १४० किमी है। जिसके अधिकारियों और कर्मचारियों को जिला मुख्यालय पर सरकारी कार्य से आने जाने में काफी परेशानी महसूस होती है। यदि जिला का पुनर्गठन हो तो सभी को राहत मिल सकती है।
– हुकमाराम लेगा, मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, परबतसर
कई ऐसे कार्य होते हैं, जिनके लिए जिला मुख्यालय पर जाना पड़ता है। नागौर की दूरी ज्यादा होने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यहां से गिनती के साधन ही नागौर के लिए उपलब्ध होते हैं। नावां से दूरी ज्यादा होने से भी समय और आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
– अनिल कुमार गौड़, निजी कॉलेज संचालक, नावां शहर
Source: Education