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अपनी जिम्मेदारी भूले एसएमसी प्रतिनिधि

अपनी जिम्मेदारी भूले एसएमसी प्रतिनिधि
अब शिक्षा विभाग देगा प्रशिक्षण

Rakhi Hajela
जयपुर।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए विद्यालय प्रबंध समिति के पदाधिकारियों का कार्य सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया है। समिति के पदाधिकारी न विद्यालय आते हैं और न ही विद्यालयों में हो कार्यों पर अपनी राय देते हैं। यह पता चल रहा है शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों की ओर से विद्यालयों का औचक निरीक्षण से। इन एसएमसी को उनकी जिम्मेदारियों की जानकारी देने का काम अब शिक्षा विभाग करेगा। एसएमसी के प्रतिनिधियों को उनकी भूमिका की जानकारी देने के लिए अब शिक्षा विभाग उनके लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन कर रहा है। एमसीएमसी की कार्यकारिणी समिति के 5 सदस्यों और एक जनप्रतिनिधि सहित प्रशिक्षण शिविर में शामिल किया जाएगा ।

एसएमसी की भूमिका हुई शून्य
स्कूलों में मिड.डे.मील, ड्रेस,किताबों का वितरण, विद्यालय के मद में किए जाने वाले कार्य समेत अन्य सभी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए विद्यालय प्रबंध समिति का गठन किया जाता है। इन सदस्यों को उनके दायित्व भी बताए गए लेकिन पदाधिकारी अपने दायित्वों को भूल गए। इनका कार्य सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया है। विद्यालय कोविड के बाद जब स्कूल खुले तो भी समितियों ने अपने कार्यों में रुचि नहीं ली। नतीजा हर माह होने वाली प्रबंध समितियों की बैठक जमीनी स्तर पर नहीं दिखाई दे रही है। जिससे एसएमसी की भूमिका शून्य हो गई है।

इन बातों का मिलेगा प्रशिक्षण
जानकारी के मुताबिक शिविर में समिति के सदस्यों को उनकी जिम्मेदारियों के बारे में बताया जाएगा । साथ ही उन्हें आरटीआई एक्ट के प्रावधानों, समग्र शिक्षा अभियान की विभिन्न गतिविधियों जैसे मिड डे मील, बाल अधिकारों बालसभा, हरित पाठशाला कार्यक्रम, अक्षय पेटिका, स्वैच्छिक अनुदान,बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम,स्कूल में बच्चों की सुरक्षा ,स्वच्छ भारत मिशन, स्कूल स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र और आपदा प्रबंधन की जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही स्कूल के प्रति अपनत्व की भावना का विकास, बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाना,स्कूल के विकास में जनसाधारण की सहभागिता प्राप्त करने और बच्चों को जेंडर जैसे विषयों पर संवेदनशील बनाए जाने का प्रयास भी किया जाएगा
समितियों के गठन के निर्देश
शिक्षा विभाग ने जिन स्कूलों में अभी तक और एसडीएमसी का गठन नहीं किया गया है वहाँ प्रबंध समिति की साधारण बैठक बुलाकर रिक्त पदों को इन समितियों का पुनर्गठन कर और नवनिर्वाचित सदस्यों को भी प्रशिक्षण में शामिल किए जाने के निर्देश दिए हैं।
क्या है एसएमसी और एसडीएमसी ?
आपको बता दें कि प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में विद्यालय प्रबंधन समिति यानी एसएमसी और विद्यालय विकास प्रबंधन समिति यानी एसडीएमसी का गठन किया जाता है। स्कूल में पढऩे वाले विद्यार्थी के अभिभावक शिक्षक और इस कार्य क्षेत्र में निवास करने वाले जनप्रतिनिधि इसकी की साधारण सभा के सदस्य होते हैं ।
यह है एसएमसी के दायित्व
अध्यापकों और बालकोंकी विद्यालय में नियमित उपस्थिति एवं बालक की शिक्षा के क्षेत्र में की गई प्रगति की जानकारी के लिए बैठक करना। स्कूल में मिड डे मील की व्यवस्था का ध्यान रखना। विद्यालय की शैक्षिक गतिविधिया ें की नियमित समीक्षा कर अच्छी शिक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करना। आउट ऑफ स्कूल बच्चों की पहचान करना व आयु अनुसार कक्षा में प्रवेश कराकरविशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था करना। बालिकाओं के लिए आवश्यक सुविधाएं जैसे शा ैचालय स्वच्छता आदि का े सुनिश्चित करना तथा ड्राप आउट आ ैर अनामा ंकित बालिकाओं का े स्क ूल से जोड़ते हुए ऐसे वातावरण निर्माण करना जहाँ सभी बालिकाएं सुरक्षित महसूस कर सकें। विद्यालय में खेल मैदान, बाउण्ड्रीवॉल, कक्षा कक्ष, सुविधायें, फर्नीचर एवं पेयजलआदि की व्यवस्था करना।
बच्चा ें के स्वास्थ्य की जाँच करवाना और स्कूल की वित्तीय प्रबंधन करना एसएमसी का दायित्व है।
इनका कहना है,
विभाग एसएमसी के प्रतिनिधियों को उनके उत्तरदायित्वों की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित करवा रहा है। फिर यह प्रतिनिधि अपने अपने स्कूलों में अन्य सदस्यों को जागृत कर एसएमसी को मजबूत करने का काम करेगे।
जेएन मीणा,जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक



Source: Education