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कोरोना ने किया पंचायती राज विभाग को ठप

प्रदीप यादव
अलवर. कोरोना संक्रमण ने आमजन को ही नहीं झकझौरा, बल्कि कई सरकारी महकमों को भी ठप कर दिया है। कोरोना का सबसे बड़ा नुकसान पंचायती राज विभाग को उठाना पड़ा है। वहीं पंचायत चुनाव कार्यक्रम गड़बड़ाने से ग्राम पंचायतों का कार्यकाल भी आगे- पीछे हो गया है। विभाग की ज्यादातर योजनाओं में पिछले दो सालों से बजट ही नहीं मिला, इससे ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर बुरा असर पड़ा है।
अलवर जिले में पिछले दो सालों से कोरोना संक्रमण का दौर जारी है। जिला अब तक कोरोना की तीन लहर झेल चुका है, इसमें पहली और दूसरी लहर में जिले वासियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं विकास की कई योजनाएं ठप हो गई। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए सरकार की ओर से मिलने वाले करोड़ों रुपए का बजट ही जारी नहीं हुआ, जिससे कई महत्वपूर्ण योजनाएं अप्रासंगिक बनकर रह गई हैं।

केवल विधायक कोटे में हुआ लाभ
कोरोना काल में केवल विधायक कोटे में लाभ हुआ है। कोरोना से पहले विधायक कोटे में प्रति विधायक 2.25 करोड़ रुपए मिलते थे, जिसे सरकार ने कोरोनाकाल में बढ़ाकर 5 करोड़ कर दिया है। हालांकि इसमें भी दो करोड़ की राशि स्वास्थ्य पर खर्च की अनिवार्यता है।

सरपंचों का कार्यकाल ही आगे- पीछे हो गया
कोरोना के चलते इस बार पंचायती राज चुनाव समय पर नहीं हो सके। ग्राम पंचायतों से लेकर जिला परिषद के चुनाव सम्पन्न कराने में दो साल लग गए। इसका असर यह हुआ कि जिले में किसी सरपंच का कार्यकाल जल्दी तो किसी का बाद में खत्म होगा।

पंचायती राज की योजनाओं में मिलनी थी करोड़ों की राशि
पंचायती राज की विभिन्न योजनाओं में हर साल अलवर जिले में करीब 100 करोड़ की राशि मिलती रही है। इनमें जन सहभागिता योजना, मेवात विकास योजना, सांसद कोटा, माडा योजना सहित अनेक योजनाएं शामिल हैं। इनमें जन सहभागिता योजना में ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों में कमरा निर्माण, श्मसान व कब्रिस्तान की चारदीवारी सहित अन्य विकास के कार्य कराए जाते रहे हैं। इस योजना में 10 प्रतिशत राशि जन सहयोग एवं 90 फीसदी राज्य सरकार की ओर से दी जाती है। पिछले दो साल में इस योजना में न कोई राशि मिली और न ही कोई विकास कार्यों के प्रस्ताव स्वीकृत हुए। इसी प्रकारण मेवात विकास योजना में भी अलवर जिले को औसतन हर साल 20 करोड़ की राशि विकास कार्यों के लिए दी जाती रही है, लेकिन कोरोना के चलते पिछले दो साल से इस योजना में कोई राशि नहीं आई। वहीं सांसद कोटे से होने वाले विकास कार्य भी नहीं हो सके हैं, कारण है कि कोरोना के चलते दो साल से सांसद कोटे पर रोक है। अलवर जिले का चार सांसद प्रतिनिधित्व करते हैं, इनमें अलवर सांसद के प्रति वर्ष 5 करोड़ तथा शेष तीन सांसद व राज्य सभा सदस्यों के कोटे से भी विकास कार्यों के लिए राशि मिलती रही है। सांसद कोटे से हर साल करीब 20 करोड़ की राशि मिलती रही है। इसके अलावा माडा योजना में भी दो साल से कोई राशि नहीं आई है। पंचायती राज की योजनाओं में मिलनी थी करोड़ों की राशि



Source: Education