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Types of Body Fat: विसेरल फैट होता है सबसे खतरनाक, जानिए आपके शरीर में किस तरह की चर्बी है जमा

शरीर में जमा फैट यानी चर्बी अलग-अलग तरह की होती है। यही कारण है कि वेट लॉस के दौरान कई बार वेट कम होता है, लेकिन बॉडी के इंचेजस कम नहीं होते। ऐसा इसलिए क्योंकि शरीर में जमी चर्बी आसानी से नहीं पिघलती। तो चलिए आज आपको बताएं कि शरीर के किस अंग में किस तरह के फैट जमा होते हैं और इनसे किन बीमारियों का खतरा पैदा होता है।

आपको बता दें कि चर्बी केवल पेट में ही नहीं, बल्कि शरीर के कई हिस्सों में जमा होती रहती है, क्योंकि लोगों के शरीर के अलग-अलग प्रकार होते हैं और वो फैट भी उसी तरह से अलग-अलग तरह जमा होते हैं।
अधिक कैलोरी और कम फिजिकल एक्टिविटी के कारण शरीर में फैट जम होने लगते हैं। शरीर में बहुत अधिक चर्बी सेहत के लिए खतरा पैदा करती है। खासकर अगर यह पेट में जमा होने लगे। तो चलिए जानें कितने प्रकार के बॉडी फैट होते हैं।

बॉडी फैट के प्रकार (Types of body fat)

सफेद फैट (White fat)
सफेद वसा यानि व्हाइट फैट बड़ी और सफेद कोशिकाओं से बनाता है और ये पेट, हाथ, हिप्स और जांघों में जमा होता है। यह फैट सेल्स शरीर में एनर्जी स्टोर्ड के रूप में होता है, जिनका शरीर बाद में एनर्जी के रूप में उपयोग कर लेता है।

ब्राउन फैट (Brown fat)
ब्राउन फैट विशेष रूप से बच्चों में पाया जाता है। वयस्कों में इसकी मात्रा बेहद हम होती है। ब्राउन फैटगर्दन और कंधे पर होता है। ब्राउन फैट बॉडी गर्म रखने और फैटी एसिड को बर्न कराने का काम करते हैं। ब्राउन फैट आसानी से कम हो सकते हैं।

विसेरल फैट (Visceral fat)
विसेरल फैट सबसे खतरनाक फैट होता है और ये कई गंभीर बीमारियों का कारण बनता है। मोटापे के शिकार लोगों में यही फैट पेट की चर्बी के रूप में होता है। ये सफेद फैट है, जो पेट के साथ लिवर, किडनी, आंत और हार्ट के आसपास जमा होता है और उन्हें जान पर खतरे का कारण बनता है। अधिक मात्रा में विसेरल फैट डायबिटीज, हार्ट इश्यूज, स्ट्रोक, आर्टरी डिसीज और कुछ प्रकार के कैंसर का जोखिम पैदा करता है। ये जिद्दी फैट आसानी से कम नहीं होता।

बिज़ / ब्राइट फैट (Beige / Brite fat)
बेज या ब्राइट फैट सेल्स ब्राउन और सफेद फैट सेल्स के बीच में काम करती हैं। ब्राउन फैट की तरह, बिज़ कोशिकाएं भी फैट को स्टोर करने के बजाय उसे जलाने में मदद कर सकती हैं। स्ट्रेस के दौरान जब खाते है तो यही फैट जमा होता है और एक्सरसाइज करते हैं तो कुछ हार्मोन और एंजाइम रिलीज होते हैं। यह हार्मोन सफेद फैट को बेज फैट में बदलने में मदद कर सकते हैं। यह संभवतः मोटापे को रोकने और हेल्दी बॉडी में फैट के लेवल को बैलेंस करते हैं।

सबक्यूटेनियस फैट / त्वचा के नीचे का फैट (Subcutaneous fat)
सबक्यूटेनियस फैट / त्वचा के नीचे का फैट, स्किन के ठीक नीचे और मसल्स के ठीक ऊपर होता है। यानी कि मसल्स और स्किन के बीच के फैट को सबक्यूटेनियस फैट स्किन के नीचे का फैट कहते हैं। शरीर का 90 प्रतिशत फैट स्किन के नीचे होता है, जो ब्राउन फैट, बेज फैट और सफेद फैट सेल्स से बनता है। इस प्रकार की फैट को आसानी से हाथ, पेट, जांघों या हिप्स में स्किन को पकड़कर महसूस किया जा सकता है।

एसेंसिअल या आवश्यक फैट (Essential fat)
एसेंसिअल या आवश्यक फैट वह फैट होता है जो आपकी बॉडी और हेल्दी लाइफ के लिए काफी जरूरी होता है। यह फैट बॉडी के अंदर पाया जाता है। दिमाग,बोन मेरो, नर्व्स पर झिल्ली के रूप में अंगों की रक्षा करते हैं। साथ ही प्रजनन क्षमता, विटामिन अवशोषण और तापमान रेगुलरेशन कंट्रोल करने वाले हार्मोन के काम में भी मददगर होते हैं।

डिस्क्लेमर- आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए दिए गए हैं और इसे आजमाने से पहले किसी पेशेवर चिकित्सक सलाह जरूर लें। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने, एक्सरसाइज करने या डाइट में बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।



Source: disease-and-conditions