Vitamin D Toxicity: इन स्वास्थ्य समस्याओं से परेशान हैं, तो समझ लें शरीर में बढ़ रहा विटामिन डी का लेवल, जहर बनने से पहले हो जाएं सचेत
Side Effects Of Vitamin D: शरीर में विटामिन डी की कमी ही नहीं, बढ़ना भी घातक होता है। विटामिन-डी शरीर के बेहतर कामकाज करने में मदद करने के साथ ही इम्यून सिस्टम, मस्तिष्क की क्रिया-प्रणाली और हडि्डयों पर काम करता है। जन्मजात प्रतिरक्षा प्रणाली के प्रोपर फंक्शनिंग के लिए विटामिन डी की जरूरत होती है। मांसपेशियों की ग्रोथ और रखरखाव के लिए जरूरी होता है, इसलिए इसकी शरीर को बहुत जरूरत होती है। लेकिन अगर ये जरूरत से ज्यादा सप्लीमेंट के तौर पर लिए जाते रहे तो इसके नुकसान बेहद गंभीर होते हैं।
होती है। मांसपेशियों की ग्रोथ और रखरखाव के लिए जरूरी होता है, इसलिए इसकी शरीर को बहुत जरूरत होती है। लेकिन अगर ये जरूरत से ज्यादा सप्लीमेंट के तौर पर लिए जाते रहे तो इसके नुकसान बेहद गंभीर होते हैं।
कई बार डाइट और सप्लीमेंट की अधिकता से विटामिन डी विषाक्तता (Vitamin D Toxicity) को जन्म देती है। हालांकि इसके लक्षण शरीर पर मिलने लगते हैं। तो चलिए आपको बताएं कि कैसे आप पहचाने कि शरीर में विटामिन डी अधिक हो रहा है और इसके दुष्प्रभाव से कैसे बचें।
जरूर से ज्यादा विटामिन डी होने के लक्षण | Symptoms Of Too Much Vitamin D
1) हाई कैल्शियम लेवल
विटामिन डी कैल्शियम को अवशोषित करता है तभी शरीर में कैल्शियम सही काम कर पाता है। इसलिए विटामिन डी के हाई लेवल से शरीर में कैल्शियम का लेवल भी बढ़ जाता है। शरीर में कैल्शियम की सामान्य सीमा 8.5 से 10.8 mg/dL के बीच होती है। कैल्शियम के हाई होने से मिचली आना, कब्ज और पेट दर्द जैसी समस्याएं होती हैं। गंभीर लक्षणों में चक्कर आना, मतिभ्रम, अत्यधिक पेशाब, भूख न लगना, किडनी की पथरी, हाई ब्लड प्रेशर, डिहाइड्रेशन और हृदय संबंधी दिक्कत होने लगती हैं।
2) मानसिक स्थिति में बदलाव
हाइपर कैल्सीमिया विटामिन डी के हाई लेवल का एक गंभीर कारण होता है और इसमें एक परिवर्तित मानसिक स्थिति को जन्म दे सकता है जो भ्रम, मनोविकृति और अवसाद का कारण बन सकता है।
3) किडनी की बीमारी
विटामिन डी विषाक्तता से किडनी पर बहुत बुरा असर होता है। विटामिन डी के हाई लेवल के कारण कैल्शियम का स्तर बढ़ जाता है। इससे बहुत अधिक यूरिन आने और किडनी के कैल्सीफिकेशन के कारण पानी की कमी हो जाती है। इससे किडनी की रक्त वाहिकाओं का सिकुड़ने लगती हैं और किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है।
4) गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी लक्षण
मिचली, उल्टी, कब्ज, दस्त और भूख न लगना जैसे लक्षण हाइपरलकसीमिया के शुरुआती लक्षण हैं। हालांकि हर लक्षण हर व्यक्ति पर नहीं दिखता। सबपर ये अलग-अलग नजर आता है। जठरांत्र संबंधी लक्षणों का होना एक संभावित विटामिन डी विषाक्तता का संकेत है।
डिस्क्लेमर- आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल सामान्य जानकारी प्रदान करते हैं। इन्हें आजमाने से पहले किसी विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक से सलाह जरूर लें। ‘पत्रिका’ इसके लिए उत्तरदायी नहीं है।
Source: disease-and-conditions