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चाणक्य नीति: निरोगी काया पाने के लिए जरूर अपनाएं आचार्य चाणक्य की ये 3 बातें

पहला सुख निरोगी काया को माना गया है। जो व्यक्ति बीमारियों से मुक्त और स्वस्थ होता है वह कोई भी कार्य करके अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है और जीवन में सफलता हासिल कर सकता है। लेकिन एक अस्वस्थ व्यक्ति सब कुछ पाकर भी कंगाल होता है और चाहकर भी कुछ नहीं कर पाता। आचार्य चाणक्य ने भी अपनी नीतियों में सेहत को लेकर कई बातें बताई हैं। आचार्य चाणक्य के अनुसार यदि व्यक्ति जीवन में कुछ नियमों का अनुसरण कर ले तो शरीर को रोगों से बचाया जा सकता है। तो आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य में स्वस्थ शरीर के लिए कौन सी खास 3 बातों को अपनाने के लिए कहा है…

 

1. भोजन और पानी का नियम
आचार्य चाणक्य के अनुसार भोजन करने से लगभग आधा घंटे बाद पानी पीने से शरीर को बल मिलता है। वहीं खाने के बीच में थोड़ा-थोड़ा पानी पीना अमृत के समान होता है। परंतु भोजन के तुरंत बाद पानी पीने की आदत बिल्कुल सही नहीं है। क्योंकि जो व्यक्ति भोजन के तुरंत बाद पानी पीता है वह उसके लिए विष के समान होता है और इससे शरीर में कई रोग पैदा हो सकते हैं।

2. आहार का नियम
आचार्य चाणक्य जी ने अपनी नीति में कहा है कि शाक खाने से बीमारियां बढ़ती हैं। जो व्यक्ति दूध पीता है उसका शरीर बलवान होता है। वहीं घी खाने से वीर्य बढ़ता है तो मांसहर का सेवन करने से शरीर में मांस बढ़ता है। इसलिए स्वस्थ बने रहने के लिए व्यक्ति को अपने आहार का संतुलन जरूर बनाए रखना चाहिए।

3. चाणक्य के अनुसार परम सुख
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि औषधियों में गिलोय सर्वोत्तम है। उन्होंने भोजन करने को परम सुख माना है यानी जो आनंद भोजन करने में है वह किसी में नहीं। साथ ही शरीर के सभी अंशो में से सबसे मुख्य हमारी आंखें हैं और मस्तिष्क को भी प्रधान माना है।

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)

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Source: Lifestyle