हे मां! माफ करना इन नादानों को…
इंदौर. एक ओर शहर मां अहिल्या के जन्मदिवस को इंदौर गौरव दिवस के रूप में उत्साह के साथ मना रहा है तो दूसरी ओर शहर की ही ऐतिहासिक छत्री में उनकी प्रतिमा को उचित स्थान तक नहीं मिल पा रहा है। जी हां, हम बात कर रहे हैं शहर के मध्य मौजूद हरिहरराव छत्री परिसर की। यहां छत्री स्थित बगीचे का जीर्णोद्धार शुरू हुए 4 वर्ष बीतने को आए हैं। इसके बावजूद अब तक न तो जीर्णोद्धार कार्य खत्म हो पाया और न ही छत्री में मां अहिल्या की प्रतिमा स्थापित हो पाई है।एक जून 2018 को जीर्णोद्धार कार्य का शुभारंभ तत्कालीन महापौर मालिनी गौड, जनकार्य प्रभारी शंकर यादव व वार्ड पार्षद द्वारा नगर निगम के सहयोग से शुरू किया था। काम कछुआ चाल से आगे बढ़ता रहा। इसी बीच छत्री में स्थापना के लिए मां अहिल्या की प्रतिमा भी बुलवाई गई। करीब दो वर्ष से ज्यादा समय से यह प्रतिमा जमीन पर ही रखी हुई है। इस प्रतिमा में मां अहिल्या हाथ में शिवलिंग लेकर पदमासन मुद्रा में विराजमान हैं। प्रतिमा देखने में काफी आकर्षक है, इसलिए स्थानीय लोगों ने लाल कपड़े से ढंक रखा है। प्रतिमा के आने के बाद से जिम्मेदारों ने इसे छत्री में स्थापित करने की सुध नहीं ली। रहवासियों का यह भी आरोप है कि छत्री के जीर्णोद्धार कार्य शुरू होने के बाद से छत्री के शीर्ष पर लगा अष्टधातु का आकर्षक शिखर कलश भी गायब है।
मां अहिल्या की अनदेखी का दूसरा मामला
इससे पहले नगर निगम ने कृष्णपुरा सब्जी मंडी में मां अहिल्या का म्यूरल बनवाया था। इसमें उन्हें सिंहासन पर बैठा दिखाया था। इस पर मराठी समाज ने आपत्ति ली थी। लंबे समय बाद म्यूरल से सिंहासन हटाया गया।
सभापति रहने के दौरान मैं जयपुर गया था। वहां मुझे यह प्रतिमा दिखी तो उसे इंदौर ले आया। इसके बाद लगातार काम चलने के कारण प्रतिमा लगा नहीं पाए। जब स्मार्ट सिटी का काम पूरा हो जाएगा, तब हम योग्य स्थान देखकर प्रतिमा स्थापित कर देंगे।
कैलाश शर्मा, तत्कालीन सभापति, नगर निगम
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