Jagannath Yatra 2022: जगन्नाथ यात्रा 1 जुलाई को, लेकिन क्यों यात्रा से 15 दिन पहले भगवान जगन्नाथ हो जाते हैं भक्तों से दूर
हिंदू कैलेंडर के अनुसार चौथा महीना आषाढ़ धार्मिक दृष्टि से बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है। आषाढ़ मास में ही जगन्नाथ भगवान की यात्रा निकाली जाती है। मान्यता है कि जो भक्त इस रथ यात्रा में शामिल होता है उसे सौ यज्ञ करने के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस साल 2022 में जगन्नाथ यात्रा ओडिशा के पुरी में 1 जुलाई को निकाली जाएगी। माना जाता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा स्नान के बाद यानी जगन्नाथ यात्रा से 15 दिन पहले भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों से दूर होकर एकांतवास में चले जाते हैं। तो आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे की मान्यता…
क्यों जाते हैं भगवान जगन्नाथ एकांतवास में?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को स्नान के दौरान खूब सारे पानी से नहाने के कारण भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं और इसलिए 15 दिन के लिए उनका एकांत में उपचार किया जाता है। साथ ही भोजन भी उन्हें सादा दिया जाता है। इस कारण 15 दिनों तक भक्तों को भगवान की दर्शन नहीं मिलते हैं।
इसके बाद भगवान की सेहत ठीक होने पर आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को हर साल भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाती है जिसका भव्य रथ भक्तों द्वारा ही खींचा जाता है। इस वर्ष 2022 में 1 जुलाई को भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाएगी जिसमें तीन रथ सजाए जाएंगे। एक रथ पर भगवान जगन्नाथ, दूसरे पर भाई बलराम और तीसरा रथ पर देवी सुभद्रा विराजमान होती हैं।
तीन रथों को गुंडिचा मंदिर ले जाया जाएगा और फिर वहां 7 दिनों के विश्राम के बाद दशमी तिथि पर भगवान पुनः अपने मुख्य मंदिर लौट आते हैं। मान्यता है कि चैतन्य महाप्रभु भगवान जगन्नाथ की इस रथ यात्रा का उद्देश्य उन भक्तों तक पहुंचना है जो किसी कारण से भगवान के दर्शन नहीं कर पाते हैं। वहीं कई पुराणों में भी इस रथ यात्रा का वर्णन मिलता है।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)
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Source: Religion and Spirituality