अब भाजपा में सुनाई देने लगे हैं बगावत के सुर
मुकेश सहारिया, नीमच. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव गैर दलीय आधार पर हो रहे हैं। ऐसे में राजनीतिक दलों की ओर से अपने समर्थकों के नाम की घोषणा भर की गई है। जितने की सबसे अधिक जिम्मेदारी प्रत्याशी की स्वयं की रहेगी। इसके चलते ही अधिकांश वार्डों में एक ही पार्टी के कई प्रत्याशी भाग्य आजमाने मैदान में उतरे हैं। बगावत का जो वायरस कांग्रेसमें अधिक फलफूल रहा था उसका असर अब भाजपा में भी दिखाई देने लगा है। रामपुरा परिषद के पूर्व अध्यक्ष यशवंत करेल का कांग्रेस की सदस्य लेना भाजपा नेतृत्व को सबसे बड़ा झटका है।
चुनाव से पहले भाजपा को करेल ने दिया झटका
रामपुरा में भाजपा को जिस प्रकार का झटका लगा है यह एक दो दिन का परिणाम नहीं है। लम्बे समय से भीतर ही भीतर करेल अपनी नाराजगी का दबाए बैठे होंगे जो नगर परिषद चुनाव की घोषणा और उसके बाद दावेदारी को लेकर अनपे रोष के बाद खुलकर सामने आ गई है। जिस राजनीतिक संगठन की पहचान ही जमीनी कार्यकर्ताओं को महत्व देने की रही हो उस संगठन में इस प्रकार एक बड़े नेता का अचानक यूं कांग्रेस पाले में चले जाना सहज नहीं माना जा सकता। इसकी पटकथा लम्बे समय से लिखी जा रही होगी। इसमें मनासा विधायक अनिरुद्ध माधव मारू और भाजपा जिलाध्यक्ष पवन पाटीदार की भूमिका जिस प्रकार की होना चाहिए वैसे दिखाई नहीं दी। विधानसभा और जिला स्तर का वरिष्ठ नेतृत्व प्रयास करता तो नगरीय निकाय चुनाव से पहले इतना बड़ा झटका भाजपा संगठन को नहीं लगता। एक बड़े नेता का अचानक भाजपा छोड़ उस कांग्रेस पार्टी की शरण चले जाना जिससे हमेशा संघर्ष करने का इतिहास रहा हो गले नहीं उतरता। अवश्य लम्बे समय से गुप-चुप तरीके से कहीं न कहीं खिचड़ी तो पक ही रही थी।
‘सत्ता सुख’ के लिए पदाधिकारी ही कूृद मैदान में
नीमच जिले में एक नगरपालिका और 11 नगर परिषद हैं। इनमें ७ नगर परिषद अकेले जावद विधानसभा में ही हैं। एक नीमच और तीन मनास विधानसभा में है। नीमच में नगरपालिका है। नीमच नगरपालिका और जीरन नगरपरिषद में प्रथम चरण में मतदान होगा। इसके बाद शेष १० नगर परिषद में चुनाव होंंगे। जावद और मनासा विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण को लेकर सबसे अधिक घमासान होने की आशंका है। मनासा विधानसभा की रामपुरा नगर परिषद में करेल सहित उनके समर्थकों द्वारा इसका ट्रेलर भी दिखा दिया गया है। मनासा नगर परिषद में भी सक्रिय नए चेहरे पार्षद पद की दावेदारी करते दिखाई दे रहे हैं। यहां भी जमीनी कार्यकर्ताओं को नजर अंदाज किया जा रहा है। दलीय आधार पर अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव होने से मनासा में वो ही बड़े दावेदार बनते दिख रहे हैं जो अब तक संगठन की कमार संभाले बैठे थे। आशय यह कि जिनके हाथ पहले संगठन की चाबी थी वे ही अब सत्ता की चाबी हथियाने के लिए दावेदार बनते दिख रहे हैं। नगर परिषद मनासा में सबसे बड़ा और चौकाने वाले नाम निमिला मारू का सामने आता दिखाई दे रहा है। सूत्र बताते हैं कि उन्होंने भी पार्षद (अनारक्षित महिला अध्यक्ष) के लिए दावेदार ठोकी है। ऐसे वे नेता जो संगठन में इसलिए नहीं गए कि उन्हें नगर परिषद में अवसर दिखा जाएगा स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। यदि मनासा नेतृत्व ने सभी समय पर हस्तक्षेप नहीं किया तो वहां भी बगावती तेवर दिखाई दे सकते हैं।
Source: Education