नूपुर शर्मा पर डबल बेंच की टिप्पणियों को वापस लिया जाए, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के समक्ष दाखिल की गई Letter Pettition
नूपुर शर्मा लगता है अब सुप्रीम कोर्ट में भी लंबे समय तक बहस और मंथन का विषय बना रहने वाला है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने आज नूपुर की उस याचिका पर, जिसमें सभी केस दिल्ली में ट्रांसफर किए जाने की गुहार लगाई गई थी, पर बहस करते हुए नूपुर शर्मा पर सख्त टिप्पणियां की हैं।
अजय गौतम ने लिखी चिट्ठी
सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठ द्वारा उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या सहित इस्लामवादियों द्वारा हिंसा के लिए भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा की कड़ी आलोचना करने के बाद अब इस मामले में बेंच की इन टिप्पणियों को वापस लेने की याचिका दायर की गई है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को भेजी गई पत्र याचिका (Letter Petition) में, गौ महासभा के नेता अजय गौतम ने नूपुर शर्मा की रिट याचिका को खारिज करते हुए न्यायाधीशों द्वारा की गई मौखिक टिप्पणी को वापस लेने का आदेश देने के लिए अनुरोध किया है। नूपुर शर्मा ने इस रिट याचिका में उनके खिलाफ सभी दर्ज एफआईआर को दिल्ली स्थानांतरित करने की याचिका की थी।
टिप्पणी वापस ली जाए
मुख्य न्यायाधीश को भेजी गई याचिका में अजय गौतम ने अदालत से अनुरोध किया है कि नूपुर शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत को अपनी टिप्पणियों को वापस लेने का आदेश जारी किया जाए, ताकि उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का मौका मिले। उन्होंने यह भी अनुरोध किया है कि न्यायमूर्ति कांत की टिप्पणियों को अनावश्यक घोषित किया जाना चाहिए।
सभी केस ट्रांसफर किए जाने की भी याचिका
अजय गौतम ने संविधान के अनुच्छेद 20 (2) के तहत नूपुर शर्मा के खिलाफ सभी मामलों को दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए सू मोटो आदेश जारी करने और उन्हें खतरों को ध्यान में रखते हुए फास्ट ट्रैक ट्रायल का निर्देश देने के लिए सीजेआई को भी याचिका दायर की है।
कानून का शासन सुप्रीम कोर्ट जजों के लिए भी
इस मुद्दे पर मीडिया से बात करते हुए, अजय गौतम ने कहा है कि यह चौंकाने वाला था कि न्यायाधीशों ने तब ये टिप्पणी की है जब किसी भी जांच या किसी अदालत ने फैसला नहीं किया कि नूपुर शर्मा दोषी हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों सहित सभी को कानून के शासन का पालन करना चाहिए और कानून का शासन ऐसी टिप्पणियों की अनुमति नहीं देता है। यह कहते हुए कि हिंसा के लिए नूपुर शर्मा को दोष देना गलत है, उन्होंने कहा कि यह भारतीय न्यायपालिका के लिए स्वस्थ संकेत नहीं है।
कन्हैयालाल के हत्यारों को क्लीन चिट?
याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि नूपुर शर्मा की टिप्पणी को उदयपुर हत्या से जोड़कर न्यायाधीशों का अवलोकन कन्हैया लाल की क्रूर हत्या को सही ठहराता है, और इस तरह हत्यारों को उनकी हत्या के मकसद को सही ठहराते हुए क्लीन चिट देता है।
नुपूर शर्मा से की गई है माफी की मांग
जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने शुक्रवार को ये भी कहा था कि नूपुर शर्मा को पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए। वहीं, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला बोले थे कि उदयपुर की घटना के लिए भी नूपुर शर्मा का बयान ही जिम्मेदार है।
लेटर पिटिशन को रिट पिटिशन लिए जाने की मांग
गुहार लगाते हुए गौतम ने मांग की है कि इस लेटर पेटिशन को रिट पेटिशन के तौर पर लिया जा सकता है। नूपुर शर्मा के मामले में सूर्यकांत की टिप्पणी को ‘गैर-जरूरी’ करार दिया जाए। नूपुर शर्मा की जान को खतरा है। इसे देखते हुए फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रायल का निर्देश दिया जाए।
Source: National