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ज्योतिष: बची हुई पूजा सामग्री को न करें फेंकने की गलती, इस तरह इस्तेमाल से जीवन में आती है सुख-समृद्धि

हमारे शास्त्रों में पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली हर चीज जैसे रोली, अक्षत, फल, फूल, नारियल आदि का अपना एक अलग महत्व होता है। इन सभी चीजों को बहुत पवित्र माना जाता है। लेकिन अक्सर पूजा के बाद थोड़ी बहुत सामग्री बच ही जाती है। ऐसे में लोग आमतौर पर बची हुई पूजा सामग्री को बहते हुए जल या नदी में प्रवाहित कर देते हैं, लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह तरीका सही नहीं है। ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक बची हुई पूजा सामग्री के इस्तेमाल से आप अपने जीवन में सुख-समृद्धि ला सकते हैं। तो आइए जानते हैं बची हुई पूजा सामग्री के उपाय…

रोली
शास्त्रों के अनुसार देवी-देवताओं की पूजा कुमकुम रोली के बिना अधूरी मानी जाती है। ऐसे में पूजा के बाद बची हुई रोली को सुहागिन महिलाएं अपनी मांग में लगाती हैं तो उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं घर में किसी नई वस्तु लाने पर उसका पूजन भी पूजा की बची हुई रोली या कुमकुम से करना शुभ माना जाता है।

अक्षत
पूजा में धन-धान्य का प्रतीक माने जाने वाला अक्षत यदि पूजा की थाली में बच जाए तो उसे अपने रसोईघर के अनाज जैसे गेहूं, चावल आदि में मिला दें। मान्यता है कि इससे मां लक्ष्मी के आशीर्वाद से घर में सदा बरकत बनी रहती है।

फूल
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूजा के बाद बचे हुए फूलों को इधर-उधर फेंकना नहीं चाहिए, बल्कि अपने घर के मुख्य द्वार पर एक माला में पिरो कर बांध दें। फिर दरवाजे पर बंधे हुए फूल जब पूरी तरह सूख जाएं तो उन्हें अपने घर में किसी गमले में बुरक दें। इससे फूलों के नए पौधे उग आएंगे।

सुपारी
भगवान गणेश की पूजा में सुपारी का बहुत महत्व होता है। आपने देखा होगा कि पूजा के दौरान पान के पत्ते पर स्वास्तिक बनाकर उस पर सुपारी रखी जाती है। लेकिन पूजा की समाप्ति के बाद समझ नहीं आता कि इस सुपारी का क्या करें। ऐसे में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूजा के बाद सुपारी को एक लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रख दें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से घर में कभी धन की कमी नहीं होती।

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)

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Source: Religion and Spirituality