राजस्थान के इस जिले में बारिश के अभाव में फसलें हुईं नष्ट, किसानों ने मांगा मुआवजा
नागौर.
जिले की खींवसर, मूण्डवा व नागौर तहसील क्षेत्र में अकाल ( drought and famine in rajasthan ) के हालात पैदा हो गए हैं। पहले तो देरी से बरसात होने से खरीफ की बुआई प्रभावित हुई, लेकिन फिर भी किसानों ने बाजरा, ज्वार, ग्वार जैसी फसलों की बुआई की, ताकि खाने के लिए अन्न और पशुओं के लिए चारा हो जाए, लेकिन सितम्बर में बारिश नहीं होने तथा फसल को नुकसान पहुंचाने वाली हवा चलने से फसलें झुलसकर नष्ट हो गईं। ऐसे में किसानों को दोहरा नुकसान हो गया। एक तो खरीफ का उत्पादन नहीं हुआ और ऊपर से बुआई में खर्चा हुआ सो अलग। इससे चिंतित किसान कलक्ट्रेट पहुंचने लगे हैं।
कलक्टर के समक्ष रखीं समस्याऐं… ( nagaur news )
सोमवार को टांकला सरपंच गिरधारीराम के नेतृत्व में टांकला व भाकरोद से आए ग्रामीणों ने जिला कलक्टर दिनेश कुमार यादव को ज्ञापन सौंपकर बताया कि समय पर बरसात नहीं होने से पहले तो बुआई लेट हुई और फिर बारिश नहीं होने से खेतों में पनपी फसलें भी नष्ट हो गई। टांकला के ग्रामीणों ने बताया कि गांव में 70 प्रतिशत भूमि सिंचित है, जहां फसलों को नलकूपों से पानी दिया जाता है, लेकिन टांकला के जीएसएस का ट्रांसफर जलने से पिछले एक माह से बिजली आपूर्ति बाधित है। उन्होंने बताया कि टांकला जीएसएस से अहमदपुरा, टांकला, सियागों की ढाणी आदि गांवों में बिजली सप्लाई दी जाती है, लेकिन एक माह से बिजली आपूर्ति व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है, जिससे सिंचित फसलें भी नष्ट होने के कगार पर है।
बिजली का बिल भी माफ किया जाए
टांकला व भाकरोद से आए ग्रामीणों ने कलक्टर से मांग करते हुए कहा कि हल्का पटवारी से दोनों-तीनों गांवों की गिरदावरी करवाकर किसानों को मुआवजा दिया जाए तथा बिजली का बिल भी माफ किया जाए।
खींवसर तहसील में सबसे कम बारिश
गौरतलब है कि इस सीजन में जिले में अब तक 598 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की जा चुकी है। इसमें सबसे अधिक जहां नावां तहसील में 856 एमएम तथा रियांबड़ी तहसील में 832 एमएम बारिश हुई है, वहीं सबसे कम खींवसर तहसील में मात्र 297 एमएम बारिश ही हुई है। इसी प्रकार नागौर में 313 एमएम, मूण्डवा में 388 एमएम बारिश दर्ज की गई है। जिले की ये तीन तहसीलें ऐसी हैं जहां 400 एमएम से कम बारिश हुई है। हालांकि जिले की औसत बारिश 369.7 एमएम है, लेकिन इस बार ज्यादातर बारिश अगस्त माह में हुई और बहुत कम समयावधि में होने के कारण फसलों को फायदा नहीं हुआ। ( प्रतीकात्मक तस्वीर )
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