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देश में 22 लाख ड्राइवरों की कमी होगी दूर, सरकार ने बनाया ये खास प्लान

देश में पिछले कई महीनों से 22 लाख के करीब प्रशिक्षित ड्राइवरों की कमी है। इस कमी को दूर करने के लिए सरकार की लंबे समय से इस पर प्लानिंग चल रही है। अब जल्द ही यह पूरी हो जाएगी। इसके साथ ही लाखों लोगों को रोजगार भी मिलेगा। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने प्‍लान बनाया है। मंत्रालय के मुताबिक, देश में 31 ड्राइविंग प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान खोले जा रहे हैं। यहां पर ड्राइवरों को ट्रेनिंग दी जाएगी। इससे कई लोगों के लिए नए रोजगार पैदा होंगे।केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों पर प्रकाश डाला है जिनके तहत परिवहन क्षेत्र में भारतीय ड्राइवर काम करते हैं।

 

खोले जाएंगे 31 ड्राइविंग सेंटर
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में बताया कि ड्राइवरों की कमी को दूर करने के लिए मंत्रालय द्वारा राज्यों क्षेत्रों में ड्राइविंग प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान आईडीटीआर स्थापित करने की एक योजना लागू की है। सरकारी की इस योजना के जरिए आईडीटीआर की मंजूरी के लिए जनसंख्या मानदंड 15वें वित्तीय आयोग की अवधि के दौरान प्रति 5 करोड़ जनसंख्या पर एक आईडीटीआर होगा।

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जानिए कहां कहां खुलेंगे प्रशिक्षण सेंटर
नितिन गडकरी ने बताया कि मंत्रालय ने पूरे देश में 31 आईडीटीआर को मंजूरी दी है। इसमें बिहार, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। कुल 23 राज्‍यों में ये प्रशिक्षण संस्‍थान खोले जा रहे हैं। महाराष्‍ट्र में 5, आंध्र प्रदेश में 3, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्‍य प्रदेश, उत्‍तर प्रदेश में 2, असम, बिहार, छत्‍तीसगढ़, दिल्‍ली, जम्‍मू कश्‍मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मणिपुर, नागालैंड, उड़ीसा, राजस्‍थान, सिक्किम, तेलंगाना और त्रिपुरा में एक- एक प्रशिक्षण केन्‍द्र खोला जा रहा है।

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इन शर्तों का करना होगा पालन
सड़क परिवहन और राजमार्ग के अनुसार, ड्राइविंग सेंटर के लिए निम्न शर्तें रखी गई है। योजना के तहत 10.15 एकड़ भूमि, कक्षाओं, कार्यालय और स्टाफ रूम, प्रयोगशाला, कार्यशालाएं, पुस्तकालय और छात्रावास भवन, वाहन, उपकरण, चालक प्रशिक्षण सिमुलेटर, ड्राइविंग रेंज शामिल हैं।

12 से 16 घंटे तक करते हैं ड्राइव
गडकरी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे यूरोपीय देशों के विपरीत भारतीय ड्राइवरों को विभिन्न बाधाओं के खिलाफ काम करना पड़ता है। यूरोपीय देशों में ड्राइवर आठ घंटे से ज्यादा काम नहीं करते हैं। हालांकि, भारत में, वे 12 से 16 घंटे तक ड्राइव करते हैं और 48 डिग्री सेल्सियस के उच्च तापमान पर, जब ट्रकों में वातानुकूलित केबिन नहीं होते हैं।



Source: National