आइसोलेशन सेन्टर में ही टूट रहा गायों का दम, 5 की मौत
अजमेर. लम्पी स्किन डिजीज से पीडि़त गायों को बचाने के लिए आइसोलेशन सेन्टर तो बना दिया मगर यहां भी गायें तोड़ रही हैं। जन्माष्टमी के दिन शाम तक करीब 5 गाय दम तोड़ चुकी थीं, जबकि 5 गाय अंतिम सांसें लेती मिलीं। यहां स्थाई रूप से चिकित्सा व्यवस्था के प्रबंध नहीं होने से भी हालात खराब हो रहे हैं। वहीं भूख भी मौतों की वजह बताया जा रहा है।पृथ्वीराज नगर के पास स्थित गौण सब्जी मंडी परिसर में बनाए गए आइसोलेशन सेन्टर का शुक्रवार शाम पत्रिका टीम ने जायजा लिया। यहां पूरे परिसर में 10 गायें निढाल मिलीं। इनमें से 5 ने तो दम तोड़ दिया जबकि पांच अंतिम सांसें लेती नजर आईं। आइसोलेशन सेन्टर में विचरण करती अन्य गायों में भी कुछ की हालत खराब नजर आई।
मोबाइल टीम ने किया वैक्सीनेशन
आइसोलेशन सेन्टर में पशु चिकित्सकों की मोबाइल टीम पहुंची। इनमें संयुक्त निदेशक डॉ. प्रफुल्ल माथुर, पशु चिकित्सक तपन गोस्वामी व टीम ने पीडि़त गायों के वैक्सीन भी लगाई।
सड़कों पर लावारिस छोड़ी गायें
शहर की प्रमुख सड़कों पर लोगों ने गायों को लावारिस छोड़ दिया है। इससे संक्रमण तेज होने का खतरा बढ़ गया है।
इन नम्बर पर करें संपर्क
लम्पी पीडि़त गायों को आइसोलेशन सेन्टर में भिजवाने के लिए बनाए गए कंट्रोल के 0145-2990591 पर कॉल कर सूचित किया जा सकता है।
आइसोलेशन सेन्टर में 100 गाय
सुबह से यहां 100 गाय थीं इनमें से 5 की मौत हुई है। शाम को कुछ अन्य वाहन से और भी गायें लेकर टीम पहुंची है। पांच गायों की हालत खराब है।
– ब्रज मोहन, प्रभारी आइसोलेशन सेन्टर कांजी हाउस
लम्पी का आमजन के स्वास्थ्य पर नहीं कोई असर
लम्पी स्किन डिजीज पशुओं में होने वाली वायरस जनित बीमारी है। यह पशुओं को ही प्रभावित कर रही है। गाय के दूध को भी गर्म करके उपयोग किया जाए। अभी तक आमजन के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर की कोई रिपोर्ट नहीं हैं। गाय बीमारी से अधिक भूख से मर रही हैं। वैक्सीन का असर भी नहीं झेल पा रही हैं लावारिस गाय।
डॉ. प्रफुल्ल माथुर, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग अजमेर
दुधारू गाय मरने के बाद बाड़े में खुद लगा रहा गायों को वैक्सीन
डिग्गी बाजार स्थित गुर्जर मोहल्ला निवासी घनश्याम गुर्जर वैक्सीन खरीद कर खुद गायों के वैक्सीन लगा रहा है। पत्रिका से बातचीत में उन्होंने बताया कि एक दुधारू गाय की मौत हो गई। सुबह-शाम करीब 10-10 लीटर दूध देने वाली गाय की मौत के बाद उसने गायों को खुद ही वैक्सीन लगाने का निर्णय किया। गायों के गले में सूजन, लीवर में सूजन, शरीर पर चकते के साथ तेज बुखार आने पर बाजार से वैक्सीन खरीद कर लाया और गायों को लगा रहा है। इसी तरह पार्षद ज्ञान सारस्वत सहित कई संस्थाएं गुड़, अजवाइन आदि के लड्डू खिलाकर, फिटकरी का स्प्रे, गिलोय, सहजना के पत्ते खिलाकर गायों को रोग से बचा रहे हैं।
Source: Education