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हंसते-हंसते शरीर के आर-पार निकाल लेते हैं यहां नुकीले तीर, देखकर आप भी रह जाएंगे दंग

जबलपुर. आस्था बड़ी बलवान होती है, अटूट आस्था के चलते लोटन यात्रा, अंगारों पर चलना आदि तो कई बार सुना था, लेकिन हंसते-हंसते अपने शरीर से नुकीले तीर आर-पार निकाल लेना शायद ही कहीं देखने को मिलता होगा, ऐसा नजारा मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में नजर आया, यहां जुलूस के दौरान युवकों ने अपने ही शरीर को नुकीले बानों (तीर) से छेद लिया, ये कोई एक दो नहीं बल्कि जुलूस में चल रहे अधिकतर युवाओं ने किया, तो देखकर हर कोई दंग रह गया।

तं त्र साधना और मंत्र सिद्धि का प्रमुख केन्द्र राजराजेश्वरी धूमावती मां बूढ़ी खेरमाई का जवारा विसर्जन जुलूस अपनी आन-बान-शान के साथ शनिवार शाम को निकला। जवारों के घट और बानों की शान देखकर हर कोई हैरान था। भक्ति, आस्था और विश्वास का जीवंत परिचय यहां देखने मिला। जब नुकीले बानों को बिना डरे भक्त पूरे शरीर पर छेदकर चल रहे थे। वे दर्द के बजाए मुस्कुराते हुए माता की भक्ति में लीन दिखाई दिए। हर तरफ उन्हें देखने वालों की भीड़ उमड़ रही थी।

ऐसा है इतिहास

स्थानीय लोगों की मान्यता है कि यहां देवी के चरणों में मान्यता बोलकर नारियल रखा जाता है। इस मंदिर का इतिहास लगभग 1500 साल से ज्यादा पुराना है। यहां एक शिला एवं पुरानी प्रतिमा है जिसका पूजन होता है। इसके बाद एक और प्रतिमा की स्थापना हुई लेकिन उसका इतिहास किसी को ज्ञात नहीं है। बूढ़ी खेरमाई का दरबार शहर के चारखंभा क्षेत्र में स्थित है और संस्कारधानी के शक्तिपीठों में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

हंसते-हंसते शरीर के आर-पार निकाल लेते हैं यहां नुकीले तीर, देखकर आप भी रह जाएंगे दंग

21 लोग साथ छेदकर चलते हैं बाना

बूढ़ी खेरमाई का जवारा विसर्जन जुलूस चार खंभा स्थित सिद्धपीठ से निकला। भालों सी नुकीली बाना गालों पर छेदने वाले भक्तों को देखने शहर उमड़ पड़ा। करीब 550 से ज्यादा भक्तों ने माता का बाना छिदवाकर अपनी आस्था प्रकट की। इनमें कुछ छोटे बच्चे भी शामिल थे। जवारे में माता रानी के 51 कलश, अग्नि झूला, माता रानी की पालकी और 21 खेरों की खेरापती का 21 फनी बाना जो कि 21 लोगों ने एक साथ पहन रखा था, वह जनाकर्षण का केन्द्र रहा। ये परंपरा कई सदियों से जबलपुर में देखी जा रही है। शुक्रवार को बड़ी खेरमाई के जवारा जुलूस में भी भक्तों ने बाना छिदवाए थे, लेकिन बूढ़ी खेरमाई के जवारे और बाना अपनी अलग पहचान रखते हैं।



Source: Education