ग्रहण काल में काले वस्त्रों में होंगे भगवान गोवर्धननाथजी के दर्शन
झाबुआ. इस बार दिवाली के अगले दिन 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण है। भारतीय समय के अनुसार दोपहर 4 बजकर 31 मिनट पर इसका स्पर्श होगा और शाम 5 बजकर 57 मिनट पर मोक्ष होगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार ग्रहण लगने से 12 घंटे पूर्व सूतक काल आरंभ हो जाता है और सूतक शुरू होते ही शुभ कार्य करने की मनाही होती है। पूजापाठ के कार्य भी बंद कर दिए जाते हैं।
इस दौरान सभी मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और प्रतिमा को छूने पर भी पाबंदी होती है। इसके बावजूद झाबुआ में एक ऐसा मंदिर है जो ग्रहण काल में भी कभी बंद नहीं होता। ये है प्राचीन श्री गोवर्धननाथजी की हवेली। यहां भगवान की बाल स्वरूप प्रतिमा होने से ग्रहण काल में इन्हें कभी अकेला नहीं छोड़ा जाता। इसलिए ग्रहण होने पर भी नियत समयानुसार ही मंदिर के पट खोले जाते हैं। इस दौरान भगवान काले वस्त्रों में भक्तों को दर्शन देते हैं। मंदिर के मुखिया दिलीप आचार्य ने बताया कि ग्रहण काल में सूतक लगने के साथ झाबुआ के सभी मंदिरों में भगवान की प्रतिमा को वस्त्र से ढंक दिया जाएगा और ग्रहण का मोक्ष होने तक मंदिर के पट बंद रहेंगे। सिर्फ वल्लभपुष्टिय मार्ग की गोवर्धननाथजी की हवेली के दर्शन खुले रहेंगे। क्योंकि यहां भगवान की बाल स्वरूप प्रतिमा है।
ग्रहण के 12 घंटे पहले से शुरू हो जाएंगे नियम
ज्योतिषाचार्य पंडित हिमांशु शुक्ल के अनुसार ग्रहण का स्पर्श शाम को 4 बजकर 31 मिनट पर होगा। उसका मध्य काल शाम को 5 बजकर 14 मिनट है और मोक्ष काल 5 बजकर 57 मिनट पर है। चूंकि ग्रहण काल का सूतक 12 घंटे पूर्व लग जाता है, इसलिए सुबह 4 बजकर 31 मिनट से ही इसके नियम प्रारंभ हो जाएंगे। यानी देवालय एक दिन पूर्व में ही शयन के बाद बंद रहेंगे। पंडित शुक्ल ने बताया ग्रहण काल में भोजन करना निषिद्ध माना गया है। जहां तक संभव हो, अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। केवल छोटे बच्चे, गर्भवती महियाएं, अशक्त और वृद्धजन के लिए नियमों में छूट है। प्रयास करें कि 1 घंटा 16 मिनट का जो ग्रहण काल है उसमें अन्न और जल का त्याग करें। उस समय भगवत भजन करें। शाम को 5 बजकर 57 मिनट पर ग्रहण के मोक्ष उपरांत सभी मंदिरों के पट खुलेंगे। शुद्धि होगी। भगवान के श्रृंगार, आरती इत्यादि सब कुछ इसके बाद होगा।
Source: Education