Diwali Puja Vidhi- घर व दुकान या ऑफिस में ऐसे करें देवी माता लक्ष्मी को प्रसन्न
इस साल यानि 2022 में दिवाली सोमवार, 24 अक्टूबर 2022 को मनाई जाएगी। ऐसे में इस दिन माता महालक्ष्मी की पूजा का विधान है, ताकि वे हमारे जीवन में सुख समद्धि का आशीर्वाद प्रदान करें।
मान्यता के अनुसार मां लक्ष्मी दिवाली की रात स्वर्गलोक से पृथ्वी पर आती हैं और घर-घर विचरण करती हैं। माता लक्ष्मी की पूजा दिवाली के दिन केवल घरों में ही नहीं बल्कि ऑफिस और दुकान में भी की जाती है।
दिवाली पर कैसे ऑफिस, दुकान में लक्ष्मी पूजा (Diwali Lakshmi Puja at office)
माता लक्ष्मी की पूजा के तहत ऑफिस और दुकान अच्छी तरह सफाई करें, कार्यस्थल पर फूलों, लाइटों, रंगोली आदि से सजावट की जाती है। माना जाता है कि जहां प्रकाश होता है वहां मां लक्ष्मी अपने अंश रूप में निवास करने लगती हैं। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इस अवसर पर दुकान या ऑफिस में पूजा स्थल पर देवी लक्ष्मी और गणपति जी की मूर्ति का पंचोपचार से पूजन करना चाहिए। उन्हें अष्टगंध, पुष्प, खील, बताशे, मिठाई, फल अर्पित करने चाहिए।
इसके पश्चात ही बहीखातों की पूजा की जाती है। इस दौरान नए बहीखातों में कुमकुम से स्वास्तिक और शुभ-लाभ बनाकर अक्षत और पुष्प अर्पित करें। धन की देवी से व्यवसाय में तरक्की और समृद्धि की कामना करने के पश्चात आरती कर सभी में प्रसाद बांटना चाहिए।
दिवाली पर घर में लक्ष्मी पूजा विधि (Diwali Lakshmi Puja Vidhi at Home)
दिवाली के दिन घर की सफाई कर घर की चौखट पर मां लक्ष्मी के चरण चिन्ह्, रंगोली, शुभ-लाभ, स्वास्तिक बनाएं साथ ही द्वार पर गेंदे के फूल और आम के पत्तों से बना बंदनवार लगाएं। इस दिन लक्ष्मी-गणेश की नवीन बैठी हुई मूर्ति की पूजा करना शुभ माना जाता है। दिवाली के दिन प्रदोष काल में शुभ मुहूर्त में पूजा स्थान पर गंगाजल या गौमूत्र छिड़क ना चाहिए। वहीं पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाने के बाद उस पर भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी और मां सरस्वती की मूर्ति को पूर्व दिशा या पश्चिम दिशा की ओर मुख करते हुए स्थापित करना चाहिए।
स्थापना मंत्र Establishment mantra – या सा पद्मासनास्था विपुल-कटि-तटी पद्म-पत्रायताक्षी, गम्भीरार्तव-नाभि: स्तन-भर-नमिता शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया, या लक्ष्मीर्दिव्य-रूपैर्मणि-गण-खचितै: स्वापिता हेम-कुम्भै: , सा नित्यं पद्म-हस्ता मम वसतु गृहे सर्व -मांगल्य-युक्ता।।
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इस समय चौकी पर मूर्ति के पास जल से भरा कलश चावल की ढेरी पर रखें, इस पर आम के पत्ते डालकर ऊपर से लाल वस्त्र में लपेटा नारियल यहां पर रख दें, जिसे वरुणदेव का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर देवी मां लक्ष्मी के बायींं ओर घी का दीपक और अपने हाथ के दायें ओर तेल का दीपक लगाएं। घी के लिए रूई जबकि तेल के लिए लाल धागे की बत्ती को उपयोग में लाएं। इन दीयों में उचित मात्रा में घी-तेल डालें, ताकि पूजा खत्म होने तक ये प्रज्वलित बने रहें। इस दिन पूरे घर-आंगन में 11, 21 या 51 तेल की दीपक लगाएं।
वहीं कुबेर देवता की पूजा के लिए देवी मां लक्ष्मी की मूर्ति के सामने चांदी या कांसे की थाल पर रोली से स्वातिक बनाकर अक्षत डालें और इसमें चांदी के सिक्के , गहने, रख दें। वहीं इस दौरान देवी मां लक्ष्मी की मूर्ति को भी सोने या चांदी के गहने पहनाएं।
दीप प्रज्वलित करने के पश्चात सभी देवी-देवता और नवग्रह का आव्हान करें। इसमें भी भगवान गणेश को चंदन का तिलक लगाकर, जनेऊ, अक्षत, फूल, दूर्वा अर्पित सर्व प्रथम करें। यदि देवी माता लक्ष्मी की मूर्ति पीतल या चांदी की हो तो दक्षिणावर्ती शंख में जल और पंचामृत डालकर उससे इनका अभिषेक करें। श्रीयंत्र की पूजा करना भी इस दिन अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
इसके बाद महालक्ष्मी और देवी सरस्वती का षोडशोपचार पूजन करें। अब इन्हें रोली, मौली, हल्दी, सिंदूर, मेहंदी, अक्षत, पान, सुपारी, अबीर, गुलाल, कमल का फूल, कलावा, पंचामृत, फल, मिठाई, खील बताशे, इत्र, पंचरत्न, खीर, पीली कौड़ी, गन्ना, नारियल आदि अर्पित करें। ध्यान रहे कि दिवाली पर मां काली की भी विशेष पूजा की जाती है, लेकिन गृहस्थ जीवन वालों के लिए देवी काली के सामान्य रूप से पूजा उचित मानी गई है। शास्त्रों के अनुसार काली देवी के प्रतीक रूप में स्याही, दवात को पूजा जाता है।
इस दौरान पूजा में मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। इस दिन तिजोरी, बहीखाता और व्यापारिक उपकरणों की भी पूजा की जानी चाहिए। दिवाली की रात श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त, लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना अति उत्तम माना जाता है। जानकारों व पंडितों का कहना है कि देवी लक्ष्मी की आरती के पश्चात पुरुष साष्टांग प्रणाम और महिलाएं हाथ जोड़कर देवी से क्षमा प्रार्थना करें। इसके पश्चात सभी में प्रसाद बांटे और जरूरमंदों को अन्न, गर्म कपड़े सामर्थ अनुसार दान करें।
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Source: Dharma & Karma