मूक पशुओं के हमदर्द बनकर इलाज और सेवा कर रहे 'गुरुजी'
मुकेश मालावत
उज्जैन. दुर्घटना में घायल कई आवारा मवेशी समय पर इलाज नहीं मिलने से दम तोड़ देते हैं तो घायल अवस्था में कई दिनों तक पड़े रहते हैं। गायों की ऐसी दुर्दशा देख युवा कोचिंग संचालक के मन में गोसेवा का जज्बा जागा और गोसेवक बन गया। अब गांव-गांव जाकर या कहीं भी घायल आवारा मवेशी की सूचना पर पहुंच जाते हैं और नि:शुल्क इलाज कर रहे हैं।
यह कहानी है उन्हेल के युवा सोमेश वर्मा की। वर्मा 2017 से गोसेवा का कार्य कर रहे है। अब तक वे 200 से अधिक आवारा मवेशी व कई गोशालाओं में मवेशियों का इलाज नि:शुल्क कर चुके हैं। वर्मा ने पत्रिका से चर्चा में बताया, आए दिन आवारा मवेशी वाहनों की टक्कर से घायल हो जाते है, जिन्हें समय पर इलाज नहीं मिलने मौत भी हो जाती है और कई मवेशी कई दिन तक घायल अवस्था में पड़े रहते है। गायों की ऐसी दुर्दशा देखी तो मेरे मन में गोसेवा का विचार आया और 2016 में इंदौर अहिल्या माता गोशाला में चार माह की टे्रनिंग लेकर एक वर्ष फील्ड टे्रनिंग दी और 2017 से गोसेवा का कार्य शुरू कर दिया। वर्मा ने बताया, उन्हेल-उज्जैन रोड पर गांव धुरमुल में सुरक्षा बलों की ट्रेनिंग देते हैं। इस रोड पर जो भी आवारा मवेशी घायल या बीमार अवस्था में दिखते है उनका प्रतिदिन इलाज करते हैं। कुछ दिन उन्हेल-उज्जैन रोड खोरिया बस स्टैंड के समीप एक गाय दिखी जिसका सींग टूटा हुआ और घाव में कीड़े पड़े हुए थे। उस गाय का प्रतिदिन इलाज कर रहा हूं। अब धीरे-धीरे घाव भर रहा है जल्द ही गाय ठीक हो जाएगी। ऐसे कई उदाहरण है जिसमें वे आवारा पशुओं का इलाज कर चुके हैं।
अन्य जानवरों का इलाज भी
वर्मा ने बताया, उन्हेल-उज्जैन रोड पर बंदरों की संख्या ज्यादा है। उछल-कूद के दौरान ये बंदर वाहनों की चपेट में आ जाते है और घायल हो जाते है। इन घायल बंदरों का भी इलाज किया जाता है। जरूरत पडऩे पर उज्जैन भी लेकर जाता हूं और इलाज करवाता हूं। वर्मा ने बताया मवेशी और बंदरों के अलावा अन्य जानवरों का भी इलाज किया जाता है।
पालतू पशुओं का भी करते हैं इलाज
वर्मा ने बताया ने आवारा मवेशी के अलावा ग्रामीणों में पालतू मवेशियों का नि:शुल्क इलाज किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में मवेशी के डॉक्टरों की कमी के कारण समय पर मवेशियों का इलाज नहीं हो पाता है। इसलिए गांव-गांव मैने मेरे नंबर ग्रामीणों को दे रखे।
Source: Education