कानफोड़ू डीजे पर शासन का लगाम नहीं, हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना –
सिटी रिपोर्टर, रायपुर.
शहर में इन दिनों धार्मिक आयोजनों में कानफोड़े डीजे बच रहे हैं। इससे आपास के रहवासी बुजुर्गों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पिछले माह गणेश विसर्जन की झांकी के दौरान कान फोड़े डीजे बजने से सदर बाजार और बैजनाथ पारा के दो बुजुर्गों की मौत हो गई। इसके बाद कानफोड़ू डीजे बजाने वाले डीजे संचालकों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। हाईकोर्ट ने आदेश भी दिया है कि निर्धारित डेसीबल से यदि डीजे बजता है कि इसके लिए कलेक्टर और एसपी जिम्मेदार होंगे। महापौर प्रमोद दुबे ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि गणेश विसर्जन झांकी के दौरान दो बुजुर्गों की मौत की खबर किसी अखबार में पढ़ी थी। महापौर दुबे ने कहा कि निर्धारित डेसीबल साउंड में डीजे बजाने के बजाए १००० से १४०० डेसीबल में बजाना बिल्कुल गलत है। डीजे वालों को उन बुजुर्गों के बारे में सोचना चाहिए कि अधिक आवाज में डीजे बजाएंगे तो उनकी सेहत पर क्या असर पड़ेगा। राजधानी में डीजे से मौत की यह घटना तब हुई, जब हाईकोर्ट ने इस पर सख्त आदेश दिया था कि डीजे के लिए संबंधित जिले के कलेक्टर, एसपी जिम्मेदार होंगे। अफसर अगर लोगों की शिकायत पर कार्रवाई नहीं करते तो यह हाईकोर्ट की अवमानना होगी। इसके बाद भी किसी भी जिले में इस पर अमल नहीं किया गया।सिर्फ यही हुआ कि डीजे का साउंड नापने के लिए हाईकोर्ट के आदेश के बाद 6 करोड़ के 648 मीटर (27 जिलों के लिए 24 प्रत्येक) खरीद लिए गए। लेकिन, किसी भी जिले में इसका उपयोग नहीं हो रहा।ज्ञात हो कि 2016 में रायपुर के शंकर नगर निवासी पर्यावरणप्रेमी नीतिन सिंघवी की पीआईएल पर हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि ध्वनि प्रदूषण से संबंधित कानून का छत्तीसगढ़ में कोई मतलब नहीं रह गया है और कोई भी कानून का पालन करने के लिए तत्पर नहीं है, यहां तक कि कानून का पालन करवाने वाली एजेंसियां तथा अधिकारी ध्वनि प्रदूषण को लेकर बहरे हो गए है। दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई न होने से ध्वनि प्रदूषण करने को बढ़ावा मिल रहा है, जो चिंताजनक है।
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