स्वस्थ रहने के लिए कैलरी सीमित करना जरूरी
नई दिल्ली। लोगों के स्वास्थ्य के प्रति जागरुक होने के साथ बाजार में सुगर फ्री या कम कैलोरी वाले वैकल्पिक मिठास के साधन खूब लोकप्रिय हो रहे हैं। लेकिन इनको ले कर चिंता भी सामने आ रही हैं। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि इस संबंध में जागरुकता जरूरी है।
इसी विषय पर यहां आयोजित एक विशेष परिचर्चा में खाद्य सुरक्षा और टॉक्सिकोलॉजी की अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ डॉ. रिबेका लोपेज गार्सीया कम कैलरी वाले वैकल्पिक मिठास के बारे में कहती हैं, ‘एक खाद्य पदार्थ के तौर पर इसे कानून की मंजूरी प्राप्त है। यह मंजूरी देने से पहले खाद्य नियामक एजेंसियां इसके सुरक्षित होने को ले कर आश्वस्त होती हैं। प्रत्येक देश की अपनी प्रणाली है लेकिन बुनियादी प्रोटोकॉल्स एक से हैं। इसके बावजूद इस संबंध में जागरुक रहना चाहिए।Ó वे कहती हैं कि कई बार ऐसे अध्ययन दो दशक तक चलते हैं। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां इस दौरान सजग रहती हैं कि किसी भी स्तर पर कोई टॉक्सिक पाया जाए तो उसका उपयोग उसी समय रोक दिया जाए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) कहता है कि ‘सुगर फ्रीÓ (चीनी मुक्त खाद्य सामग्री) को कुल कैलोरी का 10 प्रतिशत से भी कम होना चाहिए ताकि जीवन में डायबिटीज जैसी बीमारियों के खतरे को कम किया जा सके। ज्यादातर जीवनशैली की बीमारियों का हमारे खानपान से सीधा संबंध होता है, जिसे कि लोग प्राय: नजरंदाज करते हैं।
इसी तरह फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट गुरुग्राम की क्लीनिकल न्यूट्रिशन हेड सन्ध्या पाण्डेय कहती हैं कि सुरक्षा मूल्यांकन में यह सुनिश्चित किया गया है कि ऐसे स्वीटनर ब्लड ग्लूकोस, इंसुलिन और डायबिटीज नियंत्रण-नियमन में कोई दखल नहीं दें। इसके साथ ही कम कैलोरी मिठास का पुनतर््पादन प्रणाली के प्रभावों के लिहाज से भी आकलन किया जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि उन लोगों के स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव न पड़े जो गर्भधारण की योजना बना रहे हैं या उन शिशुओं पर जो अभी विकसित हो रहे हैं।
सुरक्षा के अतिरिक्त लो कैलरी स्वीटनर के संबंध में स्वाद भी एक प्रमुख चिंता है। लोग इससे भी चीनी जैसे स्वाद की अपेक्षा रखते हैं। प्रसिद्ध भारतीय पाक-कला विशेषज्ञ संजीव कपूर बताते हैं कि ‘सटीक चयन के लिए जरूरी है कि सही जानकारी हो।Ó चीनी खाने में कैलरी को बहुत बढ़ा देता है। लेकिन ऐसे कम कैलरी वाले मिठास से इसका विकल्प तलाशा जा सकता है। प्राय: लोग कहते हैं यह स्वाद वैसा नहीं है और मैं उनसे सहमत हूँ। इसका स्वाद सौ फीसदी वैसा ही नहीं होगा। हालांकि यदि कोई इसका दो-तीन हफ्ते सेवन करता है तो उसकी आदत में यह स्वाद आ जायेगा।
Source: Health