fbpx

गले में होने वाले संक्रमण से ऐसे करें बचाव, जानें ये तरीके

हवा में धूल-मिट्टी के बारीक कण उड़ने से गले में तरह-तरह का इंफेक्शन होने लगता है। गले से जुड़ी समस्याओं, उनके इलाज और सावधानियों के बारे में जानिए।

एलर्जी : प्रदूषण, कोई फूड, फूलों के परागकण, बेडशीट की डस्ट, धूल व धुआं कारण हैं। सांस लेने में दिक्कत, सूखी खांसी, नाक से पानी आना, बुखार, गले में दर्द है तो एंटीएलर्जिक दवाएं लेने के अलावा कारक से दूरी बनाएं।

टॉन्सिलाइटिस : ठंडी चीज खाने या ठंड से यह समस्या होती है। गले में दर्द, थूक या पानी निगलने में दर्द, मुंह से बदबू, कान में संक्रमण लक्षण हैं। एंटीबायोटिक्स देने के अलावा नमक मिले गुनगुने पानी के गरारे और ठंडी चीजों से परहेज करें।

लैरिंजाइटिस : इंफेक्शन, एलर्जी या अन्य कारण से वोकल कॉर्ड पर असर होता है जिससे बोलने व सांस लेने में दिक्कत होती है। लंबे समय तक एलर्जी, एसिड रिफ्लक्स, साइनुसाइटिस से क्रॉनिक लैरिंजाइटिस होता है। ईएनटी विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।

एसिड रिफ्लक्स : पाचन संबंधी व अन्य कारणों से पेट में भोजन पचाने वाला अम्ल ऊपर गले तक आता है। इससे गले को क्षति होती है व सूजन आ जाती है। बार-बार खांसी, उल्टी, खट्टी डकारें और सीने में जलन होती है। इलाज के रूप में एंटासिड दवाएं लेने की सलाह देते हैं। सोने से दो घंटे पहले भोजन करें और मॉर्निंग व ईवनिंग वॉक पर जाएं।


{$inline_image}
Source: Health

You may have missed