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Heart Health : आप ऐसे स्वस्थ रख सकते हैं अपना हार्ट

सवाल : क्या थकान, सांस फूलना हृदय रोगों के लक्षण हैं?
सामान्य लोगों की तुलना में जल्दी थकने, तेज चलने व सीढिय़ां चढ़ते वक्त सांस फूलने, खांसी की शिकायत होती है। अधिकांश लोग सामान्य खांसी-जुकाम समझकर नजरअंदाज करते हैं। ऐसा हृदय पर दबाव पडऩे से होता है। इससे हृदय शरीर में रक्त नहीं भेज पाता। ऑक्सीजन, पोषक तत्वों की कमी के साथ हानिकारक तत्व बढ़ते हैं। इससे शरीर में हृदय संबंधी समस्याओं की शुरुआत होती है।
सवाल : हृदय रोगों के पीछे क्या कारण होते हैं?
हृदय को नुकसान पहुंचाने या उसपर दबाव बढ़ाने वाली गतिविधि व गलत खानपान से समस्या बढ़ती है। हृदय रोगों जैसे कोरोनरी आर्टरी या वॉल्व डिजीज, हार्ट की मसल्स में सूजन, जन्मजात हृदय की विकृति होती है। धूम्रपान, शराब पीने, कुछ दवाओं का दुष्प्रभाव से भी समस्या होती है। एनीमिया, किडनी रोग, अनियंत्रित डायबिटीज, थायरॉइड से रोग की आशंका बढ़ती है।
सवाल : हार्ट अटैक को कैसे पहचानते हैं?
हाई बीपी से धमनियों में क्षति होने से हृदय को रक्त पंप करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। दबाव अधिक होने पर ऐसी स्थिति बनती है।
सांस लेने में परेशानी, खांसी आना, पैरों में सूजन, वजन बढऩा, जल्दी थकना, चक्कर, अनियंत्रित धड़कन, चेस्ट पेन करना, सांस का तेज चलना, पसीना आना प्रमुख है। भूख ना लगना, रात में बार-बार यूरिन आना प्रमुख लक्षण हैं।
सवाल : क्या हार्ट अटैक होने पर काम नहीं करता है?
हार्ट अटैक को हृदयाघात कहते हैं। इस स्थिति में हृदय पूरी तरह काम करना बंद नहीं करता है। हृदय बड़ी मुश्किल से काम करता है। ऐसे में उस पर दबाव कई गुना बढ़ जाता है। अटैक आने के बाद जीभ के नीचे एस्पिरिन की एक गोली रखने से जोखिम काफी कम हो सकता है। 1-6 घंटे महत्वपूर्ण होते हैं। जल्द इलाज से हृदय की मांसपेशियों को होने वाला नुकसान कम हो सकता है। हार्ट अटैक किसी भी उम्र में हो सकता है।
सवाल : ऐसे में तुरंत क्या करना चाहिए?
सबसे पहले रोग के लक्षणों को पहचानकर तुरंत नजदीकी अस्पताल में दिखाएं। चिकित्सक की परामर्श से इलाज कराएं। बाद में चिकित्सक द्वारा बताई दवाएं नियमित लें। अपने मन से दवाओं की खुराक में बदलाव व बंद न करें। बताए गए समय पर परामर्श लें व संबंधित जांचें कराएं। जीवनशैली में बदलाव करें, जैसे पानी व नमक की मात्रा, धूम्रपान व शराब का प्रयोग बंद करें। हृदयाघात रोगी की इम्यूनिटी घट जाती है। इसके लिए कई बार मरीजों को वैक्सीन भी दी जाती है। चिकित्सक की परामर्श से शारीरिक क्षमतानुसार नियमित हल्की एक्सरसाइज कर सकते हैं।

एक्सपर्ट : डॉ. हेमंत चतुर्वेदी, कॉर्डियोलॉजिस्ट, जयपुर
एक्सपर्ट : डॉ. संजय कुमार कॉर्डियक सर्जन नई दिल्ली



Source: Health