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क्यों जरूरी है हमारे लिए हाउस स्पैरो, जानिये किन कारणों से ये हो रहीं है लुप्त

The chirping delight called House Sparrow : हमारे घर के आस पास, पेड़ों पर कीड़े ढूँढ़ते, छत्त के ऊपर, आँगन में दाना चुगते अक्सर हमने गौरेया को देखा है। इसे हम ‘हाउस स्पैरो’ के नाम से भी जानते है। चौकन्नी, चतुर पर बिलकुल भी चालाक नहीं है यह नन्ही सी चिड़िया। काश के चालाक होती तो आज इसे अपना अस्तित्व खोने का डर नहीं रहता। अनाज दाना, बीज, फल फूल और कीड़े मकोड़े खाने वाली गौरेया जो कई सालों पहले चारों और दिखाइ देती थी वो आज मुश्किल से नजर आती है। हमारे देश में कई ऐसे प्रान्त हैं जहां से ये लगभग लुप्त ही हो चुकी है। ऐसा क्यों हुआ है, ऐसा होने से क्या सिर्फ इस नन्ही सी चिड़िया के अस्तित्व को खतरा है या फिर हमारे जीवन पर भी इसके ना होने का असर पड़ रहा है। करीब आते ‘वर्ल्ड स्पैरो डे’ के मौके पर आइए जानते हैं किन कारणो से इस पक्षी की तादात कम हो रही है और कैसे हम इसे बचा सकते हैं।

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क्या महत्त्व है हाउस स्पैरो का
: हाउस स्पैरो हमेशा से इंसान के जीवन का हिस्सा रहीं हैं। इनके होने से सुबह और शाम होने की खबर मिल जाया करती थी। जिस तरह हर जीव जंतु का अपना महत्व है उसी तरह ही हाउस स्पैरो का भी महत्व हैं। बड़े-बड़े घरों के आँगन में देखे जाने वाली यह नन्ही चिड़या हमें डेंगू, मलेरिआ और मछरों से होने वाली दूसरी बिमारियों से बचाती है। यह बिमारी पैदा करने वाले मच्छरों और कीड़ों के लार्वा को खाती है और हमें इनके हमले से बचाती है। साथ ही कई जानलेवा बीमारियों से भी हमारी रक्षा करती है।

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क्यों लुप्त हो रही है हाउस स्पैरो
: हाउस स्पैरो का इंसानों से गहरा रिश्ता है। यह जंगलों, पहाड़ों की बजाये वहां ज़्यादा पायी जाती है जहां लोग हों। इसलिए यह अपने रहने और खाने पीने के लिए हम पर निर्भर है। बदलते समय ने घरों के आँगन को सिकुड़ा कर फ्लैट में बदल दिया, पेड़ पौधे कटने लगे और बड़ी इमारतों के बीच गौरेया ने अपना घर खो दिया। अब कोई इन्हे अनाज के दाने नहीं देता। इमारतों के बंद दरवाजे और मॉल में तब्दील होती दुकानें, सबने इनका खाना छिन लिया। इसके अलावा पेस्टिसाइड, पोलूशन, एयर कंडीशनर की गर्मी और मोबाइल फोन का रेडिएशन भी इनके लुप्त होने का कारण है। यही वजह है की हाउस स्पैरो को बचाने के लिए, इसके बारे में अवेयरनेस फैलाने के लिए पूरी दुनिया में मार्च 20 को वर्ल्ड स्पैरो डे मनाया जाता है।

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Source: Lifestyle