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परिवार ही सबसे बड़ा सहयोगी, मातृत्व एक सेलिब्रेशन है…

संतुलित, समय पर व साथ खाए

इस समय महिलाओं के पोषण के साथ क्रेविंग यानी खाने की परिवर्तित लालसा का खयाल रखें। परिवार उसे नजरअंदाज न करे। गर्भवती को तीन महत्वपूर्ण आहार अवश्य दें। वह संतुलित व समय पर आहार खाए। वह सामान्य दिनों की तरह सभी को खाना खिलाकर सबसे आखिर में खुद न खाए। परिवार उसे भी अपने साथ बिठाकर भोजन कराए। यह उसके लिए मानसिक खुराक का काम करेगा।

ऐसी बातें न बोलें, जो चोट पहुंचाए

जैसे ही परिवार के सदस्यों को महिला के गर्भवती होने का पता चले। उसे मॉर्निंग सिकनेस जैसी समस्याएं होने लगें तो नकारात्मक बातें न करें। परिवार के सदस्य ऐसी बातें न बोलें जो इस समय गर्भवती महिला को मानसिक चोट पहुंचाए। प्रसव के बाद भी इस बात का ध्यान रखें, क्योंकि प्रसव के बाद महिलाओं में पोस्टपार्टम ब्लूज का खतरा अधिक पाया जाता है। परिवार के सदस्य इस समय रूढ़िवादी धारणाओं को छोड़कर उसकी देखभाल पर ध्यान दें।

गर्भ संस्कार सत्र के लिए प्रेरित करें

गर्भवती महिला तनावग्रस्त तो नहीं है, इस बात का ध्यान भी परिवार को ही रखना है। क्योंकि जैसा अन्न वैसा मन, जैसा पानी वैसी वाणी। इसलिए गर्भवती को हर तरीके से खुश रखना चाहिए। महिला यदि तनाव में होगी तो कॉर्टिसोल हार्मोन बढ़ जाएगा और उसका नकारात्मक प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ेगा। मेडिटेशन की सलाह दें। गर्भ संस्कार के सत्र लेने के लिए प्रेरित करें। इस समय मां की मानसिक स्थिति का सीधा प्रभाव बच्चे की स्थिति पर पड़ता है।

परिवार के सदस्य स्मोकिंग न करें

महिला स्वयं स्मोकिंग करती है तो धूम्रपान छोड़े। परिवार में कोई सदस्य धूम्रपान करता है तो गर्भवती महिला के पास बैठकर स्मोकिंग न करे। अच्छा यही है कि आप स्वयं धूम्रपान छोड़ दें। यह आपके, गर्भवती महिला व गर्भस्थ शिशु के लिए सही है।

सीट बेल्ट लगाने को अवश्य कहें

गर्भवती महिला जब कार में सफर करती है या ड्राइविंग करती है और सीट बेल्ट का प्रयोग नहीं करती। चालक व गर्भवती महिला सीट बेल्ट अवश्य लगाएं। क्योंकि सीट बेल्ट सुरक्षा के लिए होती है। कई बार कार में सफर करते समय झटका लगने से गर्भपात की आशंका रहती है।

उसकी सुनें, उसे नजरअंदाज न करें

यदि परिवार में किसी सदस्य को लगता है कि महिला तनाव में है तो धैर्य व सहानुभूति पूर्वक उसकी अवस्था को जानते हुए बातचीत करें। इस बात का खयाल रखें कि गर्भवती महिला की सुनें, उसकी बातों को नजरअंदाज न करें। अगर उसे रोना आ रहा है तो उसे संभाले भी।

अटैचमेंट थ्योरी

गर्भावस्था के दौरान और जन्म लेने के एक वर्ष तक पारिवारिक माहौल बच्चे के भावनात्मक विकास में अहम भूमिका निभाता है। फिनलैंड में 2022 में हुए शोध के अनुसार मां व शिशु की बॉन्डिंग पारिवारिक प्रणाली व रिश्तों पर निर्भर करती है। इसे अटैचमेंट थ्योरी कहा गया है। माता-पिता के संबंधों का असर संतान के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।



Source: Health