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IPL 2023: सेना की तैयारी करने वाला यह लड़का IPL में मचा रहा धूम, पिता ने टैक्सी चलाकर बेटे को क्रिकेटर बनाया

Mukesh Kumar Delhi Capitals IPL 2023: दिल्ली कैपिटल्स के तरफ से खेलने वाले तेज गेंदबाज मुकेश कुमार आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। गांव की तंग गलियों से निकलकर आईपीएल में दिल्ली कैपिटल्स के लिए खेलने की राह मुकेश के लिए आसान नहीं थी। इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की, घंटों मैदान में पसीना बहाया, आर्थिक संकट से जूझा, लेकिन डटा रहा। तब जाकर मुकेश इस मुकाम तक पहुंचे हैं।

मुकेश को यहां तक पहुंचाने में उनके पिताजी का अहम योगदान रहा है। जिन्होंने गांव की गलियों से लेकर, पास के क्रिकेट के मैदान में खेलने वाले बेटे को तराशने के लिए कोलकाता में क्रिकेट एकेडमी में ट्रेनिंग दिलवाया। जबकि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। वह टैक्सी चला कर अपना गुजर-बसर करते थे। आज मुकेश सफलता की उस ऊंचाइयों पर हैं, जहां पहुंचना हर क्रिकेटर की चाहत होती है।

सफर आसन नहीं था, बिहार में रहते तो नहीं बन पाते क्रिकेटर

बिहार में राजनीतिक विफलता के कारण आज तक क्रिकेट को मान्यता नहीं मिली है। इसीलिए मुकेश को अपना गृह राज्य छोड़कर, कोलकाता जाना पड़ा। जहां से उन्होंने सफलता की सीढ़ी चढ़ी। एक बिहारी कितना टैलेंटेड होता है, उसमें कितनी प्रतिभा होती है, इस बात से तो हर कोई वाकिफ है। लेकिन अक्षम और निक्कमी राजनीति के कारण यहां आज तक कुछ नहीं हो पाया। मान लीजिए अगर बिहार में सारे संसाधन मौजूद होते, तो इस लड़का को कोलकाता जाने की जरूरत ही क्या पड़ती?

बिहार में क्रिकेट बोर्ड को मान्यता तक प्राप्त नहीं है। जिसके चलते कई नौजवान खिलाड़ियों को अपना टैलेंट साबित करने दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है। सबा करीम, केशव कुमार, शाहबाज नदीम और ईशान किशन जैसे क्रिकेटर जो आईपीएल तो छोड़िए विश्व क्रिकेट में अपना नाम कमा रहे हैं, उन्हें अपना प्रतिभा दिखाने बंगाल या झारखंड पलायन करना पड़ा था। यही वजह है कि उन्हीं के नक्शे कदम पर मुकेश कुमार जैसे प्रतिभावान खिलाड़ी को भी बंगाल जाना पड़ा।

टैक्सी चलाकर पिता स्व. काशीनाथ सिंह ने अपने बेटे को क्रिकेट क्लब में दाखिला दिलवाया था। दाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज ने अपने काबिलियत की ऐसी मिशाल वहां पेश की कि क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट में भारतीय क्रिकेट टीम में उन्हें शामिल करने के लिए चयनकर्ताओं को मजबूर होना पड़ा। यही नहीं, आईपीएल में दिल्ली कैपिटल्स ने उन्हें 5.5 करोड़ की बोली लगाकर टीम में शामिल किया।

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मुकेश अपने आर्थिक स्थिति से वाकिफ थे, इसलिए उनका सपना बिहार पुलिस या सीआरपीएफ में जाने का था ताकि परिवार का गुजर बसर हो सके। इसके लिए वह रोज प्रैक्टिस करते थे, लेकिन क्रिकेट का साथ उन्होंने कभी नहीं छोड़ा। और अब देखिए क्रिकेट उनके साथ ऐसे जुड़ गई है कि जैसे दोनों एक दूसरे के पूरक हों।

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Source: Sports

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