Bihar: नीतीश को डुबोने पर आमादा जीतन राम मांझी, जानें क्यों?
Bihar Politics: हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM ) के सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने अपनी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच ऐसा बयान दिया है कि जिससे एक झटके में बिहार की महागठबंधन सरकार सकते में आ गई है। उन्होंने कहा है कि अगर नीतीश कुमार अगर हमें उचित हिस्सेदारी नहीं देंगे, हमारी मांगों की अनदेखी करेंगे, तो हम एकला चलो की राह पकड़ने को तैयार हैं। नीतीश कुमार नहीं जानते की हमारी पार्टी की पहुंच बिहार के हर कोने में है। ऐसे में यह भी हो सकता है की आगामी लोकसभा चुनाव में सभी 40 सीटों पर हम अपने उम्मीदवार उतारे।
राजनीति में कोई कसम नहीं होती
नालंदा में राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद जीतन राम मांझी ने जिस तरह से बयान दिया है उसे लगता है कि मांझी का मूड अब बदल रहा है। जिसका असर बिहार की राजनीति में देखने को भी मिल सकता है। मांझी ने कहा कि हमने नीतीश कुमार के साथ रहने की कसम खाई है, लेकिन राजनीति में कसम का कोई मायने नहीं होता। अगर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को सरकार में उचित हिस्सेदारी नहीं मिलती है तो हम अलग राह चुनने को तैयार हैं।
जीतन राम मांझी ने कहा कि आप (नीतीश कुमार) हमारे कार्यकर्ताओं की अनदेखी नहीं कर सकते। हमारे लाखों कार्यकर्ता आपके लिए चुनाव में मेहनत करते हैं। आप फिर भी उन्हें सम्मान नहीं दे रहे।आगे मांझी बोले- नीतीश कुमार ने मेरे साथ कुछ कमी की है। दो मंत्रालय को हटाकर एक मंत्रालय दे दिया है। उन्हें फिर से हमें यह मंत्रालय दे देना चाहिए। इसके साथ ही मांझी ने महागठबंधन में कोआर्डिनेशन कमेटी बनाने की भी मांग की है, जो सभी पार्टियों के बीच सामंजस्य बिठा सके।
पुत्र-मोह में दे रहे ऐसा बयान
बता दें कि जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन जब एनडीए सरकार में मंत्री थे तो उनके पास दो विभागों का जिम्मा था। पूर्व सरकार में संतोष सुमन के पास अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण और लघु जल संसाधन विभाग था। लेकिन जब अगस्त 2022 में बिहार की सियासत में उलटफेर हुआ और महागठबंधन की सरकार बनी तो संतोष सुमन मंत्री तो बनाए गए।
लेकिन उनका ओहदा कम करके उनके पास एक विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। अब उनके पास सिर्फ अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण विभाग का जिम्मा ही है। जीतन राम मांझी शुरू से ही अति महत्वाकांक्षी रहे हैं। ऐसे में एक बार उन्होंने यह तक कह दिया था कि बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मेरा बेटा अभी कितनी बार पढ़ाएगा। वह तो बस नौवीं पास है और मेरे बेटे के पास कई डिग्री है।
जब वह आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री बन सकते हैं, तो मेरा बेटा मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता।उसमें ऐसी क्या कमी है जो उसको सीएम नहीं बनाया जाना चाहिए। जीतन राम मांझी के इस बयान के बाद भी बिहार में भयंकर बवाल मचा था। तेजस्वी यादव भी इस बयान पर रियेक्ट करने में असहज हो गए थे। अब फिर से जीतन राम मांझी ने वही राग अलापना शुरू कर दिया है।
वोट हमारा और शासन तुम्हारा नहीं चलेगा
हम पार्टी के नालंदा में चलने वाले दो दिनों की राष्ट्रीय परिषद की बैठक आज खत्म हो गई। राष्ट्रीय परिषद की बैठक में संतोष कुमार सुमन को निर्विरोध रूप से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। यहां भी जीतन राम मांझी ने अपने बेटे को ही पार्टी का प्रमुख चुनावाया।
इस बैठक में शक्ति सावंत को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी और राजेश रंजन को चुनाव पर्यवेक्षक बनाया गया। राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए संतोष सुमन ने बताया कि नवंबर के आखिरी सप्ताह में गांधी मैदान में बड़ी रैली आयोजित की जाएगी। इसके बाद हुंकार भरते हुए सुमन बोले-वोट हमारा और शासन तुम्हारा नहीं चलेगा।
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भाजपा के इशारे पर हो रहा ये सब
जीतन राम मांझी अपने बयानों से अक्सर नीतीश कुमार की चिंता बढ़ाते रहते हैं। इससे पहले भी उन्होंने शराबबंदी को लेकर कई बार नीतीश कुमार के फैसलों का विरोध किया है। जीतन राम मांझी अक्सर भाजपा के बड़े-बड़े नेता से मिलते रहते हैं। कुछ दिन पहले ही उन्होंने अमित शाह से मुलाकात की।
इसके बाद जब बिहार के महागठबंधन के नेता मांझी से सवाल करने लगे कि आप महागठबंधन को कमजोर करने में लगे हैं। इसीलिए आप ने अमित शाह से मुलाकात की है, तो मांझी ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि मैंने माउंटेन मैन दशरथ मांझी को भारत रत्न देने की मांग को लेकर अमित शाह से मुलाकात की थी। उस मुलाकात में कोई भी राजनीति से जुड़ी बात नहीं हुई।
लेकिन यह बात सभी को पता है कि जीतन राम मांझी अपने बेटे संतोष सुमन के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में एक टिकट चाहते हैं। इसीलिए बार-बार दिल्ली जा रहे हैं। अब भाजपा अगर इनकी बात मानेगी, उससे पहले इन्हें भी तो बीजेपी के प्रति अपनी वफादारी साबित करनी होगी। तब जाकर ही बात आगे बढ़ेगी।
अब जीतन राम के इस बयान के बाद अटकलें लगनी शुरू हो गई है कि क्या नीतीश कुमार की नैया 2024 में जीतन राम मांझी डूबा कर ही दम लेंगे। क्या जीतन मांझी अपना सब बयान भाजपा के इशारों पर दे रहे हैं, ताकि महागठबंधन कमजोर हो।
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि जीतन राम मांझी अगले कुछ महीने में कैसा रुख अपनाते हैं? क्या वह नीतीश कुमार पर ऐसे ही हमलावर रहेंगे या नीतीश कुमार उनकी मांगों को मानकर महागठबंधन की दरार को कम करने की कोशिश करेंगे। ताकि 2024 से पहले बिहार की महागठबंधन एकजुट रहे ।
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Source: National