Kalashtami June 2023: कालाष्टमी कल, भैरव बाबा प्रसन्न होकर देते हैं असीम शक्ति, पूरी करते हैं हर मनोकामना
एक और वजह से कालाष्टमी विशेष
आचार्य पाण्डेय के अनुसार आषाढ़ कालाष्टमी विशेष है। इसकी वजह यह है कि यह तिथि शनिवार को पड़ रही है, जो बाबा भैरव की साप्ताहिक पूजा के साथ शनिदेव की पूजा का भी दिन है।
कब है कालाष्टमी
आषाढ़ कृष्ण अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 जून दोपहर 2.01 बजे से हो रही है और यह तिथि 11 जून दोपहर 12.05 पर संपन्न हो रही है। आचार्य पाण्डेय के अनुसार काल भैरव की विशेष पूजा शाम को होती है, इसलिए दस जून को ही कालाष्टमी की पूजा की जाएगी।
काल भैरव की पूजा का महत्व
आचार्य पाण्डेय के अनुसार कई पुराणों में रुद्रावतार काल भैरव की महिमा का वर्णन है। ऐसा ही एक उल्लेख नारद पुराण में मिलता है। इसके अनुसार कालाष्टमी पर काल भैरव की पूजा करने से मनुष्य की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और यदि कोई मनुष्य लंबे समय से किसी रोग से जूझ रहा है और उसकी समस्या का निवारण नहीं हो पा रहा है तो उसे कालभैरव की पूजा करनी चाहिए। इससे उसका रोग दूर होता है और व्यक्ति के भौतिक और मानसिक दुख दूर हो जाते हैं।
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ऐसे होंगे बाबा भैरव को ऐसे करें प्रसन्न
1. प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय के अनुसार कालाष्टमी के दिन बटुक भैरव की पूजा करनी चाहिए, और उनको कच्चा दूध अर्पित करना चाहिए।
2. हलुआ, पूड़ी भैरव बाबा का प्रिय भोग हैं, कुछ लोग बाबा को मदिरा भी अर्पित करते हैं।
3. कालाष्टमी पूजा के दौरान बाबा भैरव को इमरती, जलेबी समेत 5 तरह की मिठाइयां भी अर्पित करनी चाहिए।
कालाष्टमी पर काल भैरव पूजा (Kal Bhairav Ki Puja Vidhi)
1. आषाढ़ कृष्ण अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठें और दैनिक क्रिया के बाद स्वच्छ होकर पूजा का संकल्प लें।
2. चौकी पर सबसे पहले शिव और पार्वतीजी के चित्र को स्थापित करें, फिर बाबा काल भैरव के चित्र को स्थान दें।
3. गंगाजल छिड़क कर पूरे पूजास्थल को शुद्ध कर लें, फिर सभी देवों को गुलाब के फूलों का हार पहनाएं या फूल चढ़ाएं।
4. इसके बाद चौमुखी दीपक जलाएं और साथ ही गुग्गल का धूप जलाएं।
5. कंकू, हल्दी से सभी का तिलक करें और हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प लें।
6. इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर आरती उतारें।
7. फिर भगवान भैरव की पूजा करें और उनकी आरती उतारें।
8. पूजाके दौरान शिव चालीसा और भैरव चालीसा का पाठ करें।
9. ह्रीं उन्मत्त भैरवाय नमः मंत्र का जाप करें। इसके बाद काल भैरव का ध्यान करें।
10. इस दिन पितरों को भी याद करें और उनका श्राद्ध भी करें।
11. कालाष्टमी व्रत पूरा होने के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं या कच्चा दूध पिलाएं।
12. इस व्रत में श्वान की भी पूजा करें।
13. आधी रात को धूप, काले तिल, दीपक, उड़द और सरसों के तेल से काल भैरव की पूजा अवश्य करनी चाहिए, यह पूजा विशेष फलदायी होती है।
14. व्रत रखने वाले लोगों को रात में भजन के जरिये काल भैरव की महिमा भी गानी चाहिए।
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काल भैरव मंत्र ( kal bhairav mantra )
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि।।
कालभैरव के अन्य मंत्र
ॐ कालभैरवाय नम:
ॐ भयहरणं च भैरव:
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं
ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्
कालाष्टमी का दान (Kalashtami Ka Dan)
1. आचार्य प्रदीप पाण्डेय के अनुसार इस दिन भैरव मंदिर में कच्चा दूध दान करना शुभफलदायक है।
2. कालाष्टमी के दिन जरूरतमंदों को काले और सफेद रंग के दोरंगे (दो रंग का) कंबल दान करना शुभफल देता है।
3. इस दिन कुत्तों को रोटी खिलाने का भी विधान है।
4. गाय को जौ, गुड़ और घी के साथ रोटी खिलाने से काल भैरव की कृपा प्राप्त होती है।
5. आषाढ़ कालाष्टमी के दिन सरसों का तेल, काले कपड़े, खाने की तली हुई चीजें, घी, जूते-चप्पल, कांसे के बर्तन और जरूरतमंद लोगों से जुड़ी किसी भी चीज का दान करना काल भैरव को प्रसन्न करता है।
Source: Religion and Spirituality