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Darsh Amavasya: दर्श अमावस्या 17 जून को, पितरों की मुक्ति और पितृदोष से छुटकारे के लिए करें ये उपाय

कब है दर्श अमावस्या
आषाढ़ अमावस्या तिथि की शुरुआत 17 जून सुबह 9.11 बजे से हो रही है और यह तिथि 18 जून सुबह 10.06 बजे तक रहेगी। इसलिए दर्श अमावस्या 17 जून शनिवार को मानी जाएगी, जबकि तिथि की आषाढ़ अमावस्या 18 जून को उदयातिथि में होगी और इसका दान पुण्य भी 18 जून रविवार को होगा।

प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय के अनुसार दर्श अमावस्या के दिन पितृ धरती पर आते हैं और आशीर्वाद देते हैं। लेकिन इस दिन जो न खाने योग्य आहार ग्रहण करता है और पितरों को कुछ अर्पण भी नहीं करता है तो पितृ उन्हें धिक्कार कर चले जाते हैं।

दर्श अमावस्या का महत्व
दर्श अमावस्या के दिन भगवान चंद्र देव की पूजा करने से जीवन में जिन कामों में अटकलें लग रही होती हैं, वे समाप्त हो जाती हैं। मान्यता है कि भगवान चंद्र देव की पूजा करने से मन को शीतलता और शांति का अहसास होता है। इस दिन चंद्रदेव की पूजा से जिन लोगों के जीवन में संघर्ष अधिक होता है, भगवान चंद्र देव उनके रास्तों को आसान बनाते हैं।

दर्श अमावस्या के उपायः आचार्य पाण्डेय के अनुसार इस दिन कुछ आसान उपायों से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।

1. खुशहाली के लिएः इस दिन पितृ को प्रसन्न रखने के लिए सुबह स्नान कर तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध, पंचबलि कर्म, ब्राह्मण भोज, खीर दान करना चाहिए, पितृ के लिए दीपक जलाना चाहिए, इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और खुशहाली आती है।

2. भाग्योदय के लिएः आचार्य पाण्डेय के अनुसार चंद्रमा जिन जातकों की कुंडली में कमजोर होता है, उन्हें दर्श अमावस्या का व्रत रखना चाहिए और चंद्रदेव की पूजा करनी चाहिए। इससे उनका भाग्योदय होगा और उसके जीवन में धन आगमन का बाधित रास्ता खुलेगा।

3. खराब कार्य न करें: आचार्य पाण्डेय के अनुसार अमावस्या के दिन प्रेत आत्माएं और नकारात्मक शक्तियां सक्रिय रहती हैं। इसीलिए इस दिन खराब काम से दूर रहना चाहिए और पूजा-पाठ करना चाहिए।

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4. सफलता के लिएः यदि आपका जीवन संघर्षपूर्ण है तो दर्श अमावस्या का व्रत रखें और चंद्रमा का पूजन करें। इससे आप सफलता प्राप्त करेंगे।

5. सफेद वस्त्र का दानः दर्श अमावस्या के दिन स्नान और पूजन के बाद पितरों को याद करते हुए गरीबों को सफेद वस्त्र दान करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है।

6. कच्चे दूध का उपायः दर्श अमावस्या के दिन‍ पीपल या बरगद के पेड़ को कच्चा दूध और जल मिलाकर अर्पित करना चाहिए।

7. पितरों के आशीर्वाद के लिएः दर्श अमावस्या के दिन पितरों की तृप्ति के लिए खीर, पूड़ी और मिठाई बनाकर दक्षिण दिशा में रखकर दीप जलाना चाहिए तथा शाम के समय एक दीपक जला कर उसकी रोशनी में पितरों को आने-जाने का रास्ता दिखाना चाहिए। इससे पितृ संतुष्‍ट होकर शुभ आशीर्वाद देते हैं।

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8. पितृ दोष की समाप्ति के लिएः देवदोष और पितृदोष की समाप्ति के लिए दर्श अमावस्या के दिन घर में कपूर जलाएं और जलते हुए कंडे/उपले पर गुड़ घी के मिश्रण की आहुति दें, इससे यह दोष दूर हो जाता है।

9. केसर का तिलकः दर्श अमावस्या के दिन केसर का तिलक लगाना चाहिए। इस दिन पिंडदान, तर्पण करना चाहिए, ब्राह्मण भोज कराना चाहिए और कौए को भोजन, मछलियों को आटे की गोलियां, गाय को रोटी, हरा चारा अवश्य खिलाना चाहिए। इससे पितृदेव प्रसन्न होकर घर में सुख-शांति तथा समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

10. पितरों की मुक्ति के लिएः अकाल मृत्यु से बचने और पितरों के निमित्त दीपदान करने से उन्हें मुक्ति प्राप्त होती है। इस दिन दक्षिण दिशा में पितरों के निमित्त 16 दीपक जलाना चाहिए।



Source: Religion and Spirituality