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Mithun Sankranti Upay: इस समय करें स्नान दान, इन तीन उपायों से चमक जाएगी किस्मत

मिथुन संक्रांति पर शुभ योग और पुण्यकाल (Mithun Sankranti punyakal)
मिथुन संक्रांति यानी रज संक्रांति 15 जून गुरुवार को शाम 6.29 बजे होगी। इसका पुण्यकाल और महापुण्यकाल दोनों शाम 6.29 से 7.20 तक होगा। इसी समय स्नान दान करना अधिक अच्छा है। वैसे संक्रांति काल से आठ घंटे के भीतर स्नान दान किया जाता है। खास बात यह है कि पिछले साल भी 15 जून को ही मिथुन संक्रांति पड़ी थी।
मिथुन संक्रांति के दिन सुकर्मा और धृति योग बन रहे हैं, दोनों योग बेहद शुभ माने जाते हैं और इन योगों में किए गए कार्य सफल होते हैं। मिथुन संक्रांति के दिन सुकर्मा योग शुरू होकर अगले दिन 16 जून को सुबह 2.03 बजे तक रहेगा। वहीं धृति योग 17 जून सुबह 1.23 बजे तक रहेगा। 15 जून को दोपहर 2.51 बजे से 3.45 बजे तक विजय मुहूर्त भी है। ये विशेष योग और मुहूर्त इस दिन को बेहद शुभ बना रहे हैं।

मिथुन संक्रांति का महत्व (mithun sankranti importance)
हर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा और दान पुण्य का विशेष महत्व होता है। मिथुन संक्रांति भी दान पुण्य के लिहाज से महत्वपूर्ण है। इस दिन सूर्य देव और भगवान विष्णुजी की पूजा का विधान है। यह तिथि प्रकृति के बदलाव का भी संकेत देती है।

इसी समय से आम तौर पर वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है। कृतिका नक्षत्र से रोहिणी की ओर सूर्य देव के रूख करते ही बारिश की संभावना बढ़ने लगती है। इस दिन किसान सूर्य देव का व्रत रखकर रज पर्व मनाते हैं और अच्छी बारिश की प्रार्थना करते हैं ताकि खेती अच्छी हो। इसके अलावा मिथुन संक्रांति के दिन सिलबट्टे को भूदेवी के रूप में पूजा जाता है।
मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में संपन्नता आती है और समाज में मान प्रतिष्ठा बढ़ती है। भगवान सूर्य के आशीर्वाद से भक्त उच्च पद को प्राप्त करता है।

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मिथुन संक्रांति का फल (Mithun Sankranti Fal)
1. मिथुन संक्रांति पशुओं के लिए अच्छी होगी। यह संक्रांति सुख समृद्धि बढ़ाने वाली है।
2. वस्तुओं की लागत सामान्य होगी यानी महंगाई का असर लोगों पर कम होगा।
3. धन समृद्धि लाएगी और लोगों को स्वास्थ्य लाभ होगा।
4. मिथुन संक्रांति के प्रभाव से अनाज भंडारण में वृद्धि होगी और राष्ट्रों के बीच संबंध मधुर होंगे।

सूर्योदय के समय ऐसे करें पूजा
1. सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य दें।
2. लाल फूल, चंदन, धूप, दीप अर्पित कर सूर्य देव के निमित्त अपने स्थान पर 7 बार परिक्रमा करें।
3. सूर्य देव की पूजा के बाद बचे जल को जमीन पर न गिरने दें, बल्कि पौधों को डाल दें।
4. सूर्य चालीसा, आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें।

पुण्यकाल में ऐसे करें पूजा
1. पुण्यकाल में किसी पवित्र नदी में स्नान करें और यह संभव नहीं है तो घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें।
2. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर पितरों कों तर्पण दें।
3. सूर्य से जुड़ी चीजों गुड़, लाल वस्त्र, लाल फूल, गेहूं, लाल चंदन आदि का दान करें। इन उपायों से सूर्य दोष खत्म होता है।

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भूदेवी की ऐसे करें पूजा
1. मिथुन संक्रांति के दिन सिलबट्टे को भूदेवी के रूप में पूजा जाता है। इसके लिए सिलबट्टे को दूध और पानी से स्नान कराया जाता है।
2. चंदन, सिंदूर, फल और हल्दी चढ़ाया जाता है।
3. गुड़, चावल का आटा, नारियल, देसी घी से बनी मिठाई, पीठा बनाकर भूदेवी को अर्पित किया जाता है।

मिथुन संक्रांति के अचूक उपाय
1. मिथुन संक्रांति के दिन सूर्य से जुड़ी चीजों गुड़, लाल वस्त्र, लाल फूल, लाल चंदन आदि का दान गरीबों और जरूरतमंदों को करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है, सूर्य दोष समाप्त होता है। इस दिन हरे वस्तु का दान सर्वोत्तम होता है। मान्यता है कि इससे भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं।
2. मिथुन संक्रांति के दिन बिना नमक खाए व्रत रखना चाहिए, इससे आपके जीवन की परेशानियां खत्म होंगी।
3. मिथुन संक्रांति के दिन पालक, मूंग और हरे वस्त्रों का दान शुभ फलदायक होता है।



Source: Religion and Spirituality

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