इन बातों को मानने से आएगी पात्रता, टेंशन भी होगी खत्म, संतों के इन अनमोल वचनों में छिपी है जीवन जीने की राह
पाना होगा अहंकार से मुक्ति
महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि का कहना है कि मनुष्य का अहंकार उसकी भौतिक और आध्यात्मिक प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है। अतः जीवन में श्रेष्ठता की प्राप्ति के लिए निरभिमानी बनना होगा। आचार्य अवधेशानंद गिरि के अनुसार अज्ञानजन्य विकार और अहंकार यानी कर्तापन का अभिमान जीवन की श्रेष्ठ संभावनाओं को धूमिल कर देता है। आचार्य कहते हैं जो कुछ हमें प्राप्त होता है वह भगवान का अनुग्रह है, प्राप्त वस्तु पदार्थों के प्रति प्रासादिक भाव रखने से विनयशीलता आती है और विनय के साथ पात्रता विकसित होती है। धर्म, विद्या और सत्संग पात्रता के विकास के साधन हैं। अतः सत्पुरुषों और ईष्ट के प्रति सर्वतोभावेन समर्पण रहे। भगवान का विधान सर्वथा कल्याणकार है, ऐसा विश्वास दृढ़ रहें।
दूसरों की भलाई को दें प्राथमिकता
आध्यात्मिक गुरु और मोटिवेशनल स्पीकर सद्गुरु कहते हैं कि जब आप अपने से ऊपर दूसरों की भलाई को प्राथमिकता देते हैं, तो आप एक अलग तरह की ताकत विकसित करते हैं जो आपको जीवन और उससे परे ले जाती है। जो मनुष्य जीवन का असली मकसद है।
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इस हद तक करना होगा भगवान पर भरोसा
आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर का कहना है कि जैसे एक बच्चा कभी सोचता भी नहीं कि मां ने घर पर खाना बनाया है या नहीं। उसको मां पर इतना भरोसा होता है कि मां ने उसके लिए घर में खाना बनाया ही होगा। हमेशा भगवान पर इसी तरह का भरोसा रखना चाहिए कि उन्होंने यह पूरी दुनिया आपके लिए ही बनाई है। श्री श्री रविशंकर के कहने का अर्थ है कि इस हद तक भरोसा करने पर ही अंतर में वास कर रहे ब्रह्म तक पहुंचना संभव होगा।
Source: Religion and Spirituality