भोलेनाथ की पूजा में विशेष है रुद्राक्ष, जिसमें है गजब की ताकत
भगवान शिव का प्रिय माह सावन चल रहा है। इसमें अनेक चीजों का खास महत्व है। इन्हीं में से एक है रुद्राक्ष। इसको धारण करने का यह (सावन) अमृत समय माना गया है। भोलेनाथ की पूजा में इसका विशेष महत्व है। कहते हैं रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। इसकी उत्पत्ति को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। रुद्राक्ष रुद्र और अक्ष दो शब्दों से मिलकर बना है। रुद्र का अर्थ शिव होता है और अक्ष का मतलब भगवान शिव की आंख से है।
अध्यात्म के साथ रुद्राक्ष वैज्ञानिक दृष्टिकोण से खास है। इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी फ्लोरिडा के वैज्ञानिकों के अनुसार, रुद्राक्ष मस्तिष्क के लिए बहुत फायदेमंद है। रुद्राक्ष का जिक्र शिवपुराण, लिंगपुराण और स्कन्दपुराण में किया गया है। शिवपुराण की विद्येश्वर संहिता में रुद्राक्ष 14 प्रकार के बताए गए हैं।
रुद्राक्ष- शिवजी का प्रिय
माना जाता है रुद्राक्ष धारण करने वाला भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता है। रुद्राक्ष को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है। इसके अनुसार, अपनी ताकत के कारण त्रिपुरासुर दैत्य को अहंकार हो गया था। उसने देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया। सभी त्रस्त देवता ब्रह्मा, विष्णु और भोलेनाथ की शरण में गए। भोलेनाथ उनकी पीड़ा सुन गहरे ध्यान में चले गए और आंख खोलने से आंसू जमीन पर गिरे, जिससे रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई।
रुद्राक्ष- कई मुखी होते हैं
रुद्राक्ष कई मुखी होते हैं। प्रत्येक का अपना महत्त्व है। एकमुखी को पुराणों में साक्षात शिव का स्वरूप कहा गया है। मान्यता है कि जो इसे पहनता है, उसे धन मिलता है। दोमुखी को शास्त्रों में शिव-शक्ति का स्वरूप माना गया है।
वहीं कहा जाता है तीनमुखी रुद्राक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की त्रिगुणात्मक शक्तियां समाहित होती हैं। शांति और खुशहाली के लिए यह रुद्राक्ष धारण करें। चारमुखी रुद्राक्ष को ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है। पांचमुखी रुद्राक्ष को साक्षात परमेश्वर रुद्र का स्वरूप बताया गया है। छरू मुखी कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है। सातमुखी सप्तऋ षियों से जुड़ा है। वहीं अष्टभुजा देवी और गणेशजी का स्वरूप है अष्टमुखी रुद्राक्ष। नौमुखी नवदुर्गा तथा नवग्रह का स्वरूप होने के कारण सुखदायक है। दसमुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है।
रुद्राक्ष- सेहत के लिए
तनाव, सिरदर्द, उलझन और घबराहट को दूर करने के लिए रुद्राक्ष पहन सकते हैं। इसे हार्ट के लिए अच्छा बताया जाता है। चुंबकीय प्रभाव के कारण रुद्राक्ष शरीर की अवरुद्ध धमनियों और नसों में रुकावट को दूर करता है। रुद्राक्ष में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। स्मरण शक्ति को बेहतर बनाने में भी कारगर माना जाता है। रुद्राक्ष के मोती डायनामिक पोलेरिटी गुणों की वजह से एक चुंबक की तरह काम करते हैं। आयुर्वेद में इसके औषधीय गुणों की चर्चा हुई है।
रुद्राक्ष- एक फल का बीज
रुद्राक्ष एक फल का बीज होता है। जो पक जाने के बाद नीले रंग का दिखाई देता है। इसे ब्लूबेरी बीड्स भी कहते हैं। रुद्राक्ष के पेड़ को इलियोकार्पस गेनिट्रस भी कहा जाता है। यह प्रमुख तौर पर नेपाल, दक्षिण पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, हिमालय और गंगा के मैदानों में पाए जाते हैं। हमारे देश में रुद्राक्ष की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। इस पेड़ पर फल आने में 3 से 4 साल का समय लगता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष इस धरती पर अकेली ऐसी वस्तु या धातु है, जिसमें ग्रहों को नियंत्रित करने की शक्ति होती है।
Source: Dharma & Karma